'सुप्रीम कोर्ट में फ़र्ज़ी एनकाउंटरों की जाँच की माँग को लेकर गुज़रे सप्ताह जिस गति से ताबड़तोड़ 'पीआईएल' (जनहित याचिकाएँ) दायर हुई हैं, उससे यूपी सरकार ज़बरदस्त दबाव में है। यही वजह है कि शनिवार तक 'एनकाउंटर ही अपराध का इलाज है' का 'नैरेटिव' खड़ा करने वाली योगी सरकार बैकफुट पर आकर विकास दुबे व उस सप्ताह हुए अन्य एनकाउंटरों की जाँच के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में एक सदस्यीय 'जाँच आयोग' के गठन की घोषणा कर डालती है। 3 साल के अपने शासन के दौरान एनकाउंटरों में हुई सवा सौ से ज़्यादा मौतों को 'जायज़' ठहराने वाले मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आत्मरक्षार्थ रणनीति अपनाने का यह पहला मौक़ा है। कुर्सी पर बैठ कर 'ठोक दो' का नारा लगाने वाले मुख्यमंत्री की यह कारगुज़ारी कितनी न्यायोचित है, इस पर चर्चा करने से पहले उनसे जुड़े इतिहास की एक घटना पर ग़ौर किए जाने की ज़रूरत है।