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संजय निषाद और अन्य ओबीसी नेताओं के साथ केशव प्रसाद मौर्य। यह फोटो मौर्य ने ही ट्वीट किया है।

यूपीः किसके कहने पर योगी विरोधी नेताओं को गोलबंद कर रहे हैं केशव प्रसाद मौर्य

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 14 घंटे पहले कुछ फोटो और चंद लाइनें सोशल मीडिया पर डालीं। इससे यूपी की राजनीति में फिर से हलचल मच गई। केशव ने अचानक ही ओबीसी नेताओं से मुलाकातें शुरू कर दीं और अपने दफ्तर में भाजपा विधायकों से समूहों में मुलाकात कर रहे हैं। अपनी ही सरकार से ओबीसी जातियों के आरक्षण का मुद्दा उठाने के बाद केशव ने यह नई पहल की है। 

ओबीसी नेता और लंबे समय से आरएसएस कार्यकर्ता, जिन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद योगी आदित्यनाथ के हाथों सीएम पद गंवाया था। अभी तक अपनी नाराजगी को छिपाया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद वे खुलकर सामने आ गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकसभा चुनाव के बाद हुई किसी भी कैबिनेट बैठक में केशव शामिल नहीं हुए। अब तक वो कम से कम दो बार कह चुके हैं कि “संगठन सरकार से भी बड़ा है।" केशव लखनऊ में अपने "कैंप कार्यालय" में विधायकों और प्रमुख ओबीसी नेताओं से मिल रहे हैं। भाजपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर इनमें शामिल हैं। मौर्य ने एक अन्य ओबीसी नेता, निषाद पार्टी के संजय निषाद से भी मुलाकात की। 

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राजभर और निषाद से मुलाकात के कई मायने हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद संजय निषाद ने ही पहला बयान दिया था कि बुलडोजर के दुरुपयोग ने हमें हरा दिया। इन्हीं लाइनों पर ओमप्रकाश राजभर ने भी बुलडोजर राजनीति की आलोचना की थी। दोनों ओबीसी नेताओं के बयान साफ तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ है, जो खुद को बुलडोजर बाबा कहलवाना पसंद करते हैं। विपक्ष का आरोप है कि योगी ने ही सबसे पहले बुलडोजर से मुस्लिमों के घर-दुकान आदि गिराने की शुरुआत की थी। ओमप्रकाश राजभर तो अब योगी कैबिनेट में मंत्री भी हैं। लेकिन वो मुखर योगी विरोधी हैं। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य का योगी के दो कट्टर विरोधियों से मिलने का मतलब आसानी से निकाला जा सकता है।
योगी या उनके विभाग या उनकी सरकार ने अभी तक केशव प्रसाद मौर्य के पत्र का जवाब नहीं दिया है। योगी के पास कार्मिक और नियुक्ति विभाग है। केशव ने इसी विभाग से आरक्षण दिशानिर्देशों को लागू करने के संबंध में पत्र लिखा था। मौर्य का इस सिलसिले में यह दूसरा पत्र था, जिसे 15 जुलाई को लिखा गया था। लेकिन उन्होंने पिछले साल भी ऐसा ही पत्र योगी के विभाग को लिखा था। दोनों ही पत्रों का जवाब केशव प्रसाद मौर्य को नहीं मिला।

यह मुद्दा इसलिए गंभीर है, क्योंकि एक अन्य ओबीसी नेता और अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल ने भी यूपी सरकार से यही सवाल पूछा था। अनुप्रिया पटेल ने अपने पत्र में कहा था कि यूपी में एससी/एसटी और ओबीसी कोटा के तहत आने वाले आरक्षण को अधूरा रखा गया और धीरे-धीरे अनारक्षित कर दिया गया। 

डिप्टी सीएम केशव लंबे समय से भाजपा के वफादार हैं। वो एक गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं, जिन्होंने वीएचपी में कार्यकाल सहित आरएसएस में अपनी जगह बनाई। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में भाग लिया, जिसने यूपी में बीजेपी की किस्मत बदल दी। वह यूपी के सिराथू से एक बार के विधायक और एक बार के सांसद हैं। उन्होंने प्रदेश भाजपा में विभिन्न संगठनात्मक पदों पर काम किया है और 2017 में जब भाजपा को सत्ता मिली तो वो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष थे। आरोप है कि बाद में योगी ने अप्रत्यक्ष रूप से स्टूल वाला मंत्री कहना शुरू कर दिया था और योगी की कई बैठकों में जब उन्हें कुर्सी नहीं मिलती थी वो स्टूल लेकर जाते थे।

लोकसभा चुनाव में जब भाजपा को यूपी में 80 में से 33 सीटें मिलीं तो राष्ट्रीय राजनीति तक में भाजपा के समीकरण बिगड़ गए। भाजपा नेता और उसके सहयोगी लोकसभा चुनाव में बुरी हार के लिए आदित्यनाथ सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। भाजपा के अंदर इस गुट की अगुआई केशव प्रसाद मौर्य कर रहे हैं। हालांकि हर कोई जानता है कि लोकसभा चुनाव में अमित शाह ने यूपी की जिम्मेदारी ली थी और योगी को किनारे कर दिया गया था। लेकिन हार का नतीजा मिलने पर योगी को घर लिया गया है।
ओबीसी नेता होने की वजह से भाजपा आलाकमान (मोदी-शाह) की पूरी थपकी केशव को है। केशव प्रसाद मौर्य 2022 का विधानसभा चुनाव सिराथू से महज 7337 वोटों से हार गए। मौर्य ने इसके लिए योगी को जिम्मेदार ठहराया। मौर्य ने आलाकमान तक से शिकायत की कि उन्हें अपनी ही सरकार ने हरा दिया। भाजपा आलाकमान ने योगी को संदेश देने के लिए केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम बनवा दिया। योगी आलाकमान के फैसले से अभी तक नाराज हैं।
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कौन है मौर्य के पीछे

केशव प्रसाद मौर्य लगातार चुनौतियों पेश कर रहे हैं और पार्टी आलाकमान उन्हें चेतावनी तक नहीं दे रहा है। इससे यूपी की जनता में योगी को लेकर गलत संदेश जा रहा है लेकिन आलाकमान ने मौर्य को कुछ नहीं कहा। पिछले दिनों जब लखनऊ में प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक हुई तो मौर्य के तेवर सख्त थे। जिसमें उन्होंने वो जुमला कहा था कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। बाद में मौर्य ने इस जुमले को एक्स पर पोस्ट भी किया था। मौर्य की गतिविधियां बता रही हैं कि उन्हें भाजपा आलाकमान का संरक्षण मिला हुआ है और पार्टी अब योगी से छुटकारा पाना चाहती है। लेकिन योगी अपनी आखिरी कोशिश जारी रखे हुए हैं। कहा जा रहा है कि 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव के बाद योगी को हटा दिया जाएगा।
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क़मर वहीद नक़वी
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