भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में शर्मनाक घटना हुई है। सोनभद्र जिले में बिजली के मुद्दे पर एक व्यक्ति ने एक दलित की पिटाई की और उससे अपनी चप्पल चटवाई। गुरुवार रात को हुई यह घटना इंटरनेट पर वायरल हो गई। इसके बाद पुलिस ने केस दर्ज किया और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
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एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में रोजाना औसतन 36 और एमपी में दलित उत्पीड़न के 20 मामले दर्ज होते हैं।
इससे पहले भाजपा शासित मध्य प्रदेश में आदिवासी युवक पर पेशाब करने और मुस्लिम युवक से तलवे चटवाने की घटनाएं हो चुकी हैं। यूपी और एमपी से दलित और मुस्लिम विरोधी घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। तमाम मामलों में पुलिस ने कार्रवाई की है लेकिन लोगों की मानसिकता नहीं बदल रही है।
सोनभद्र की घटना का जो वीडियो क्लिप सामने आया है, उसमें एक व्यक्ति को लकड़ी की खाट पर बैठे देखा जा सकता है और उसके सामने एक अन्य व्यक्ति खड़ा है। वह आदमी उसे अपनी चप्पलें चाटने और कान पकड़कर उठक-बैठक करने का आदेश देता है और सामने खड़ा व्यक्ति उसकी आज्ञा का पालन करता है।
वीडियो इंटरनेट पर वायरल होने के बाद पुलिस ने कार्रवाई की और बिजली लाइनमैन के रूप में काम करने वाले आरोपी शख्स को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी अन्य ग्रामीणों को बिजली संबंधी समस्याओं में मदद करने के लिए दलित व्यक्ति पर क्रोधित था। वो दलित व्यक्ति अक्सर गांव के लोगों की बिजली संबंधी छोटी-मोटी शिकायतों को दूर कर देता था। इस बात से लाइनमैन दलित युवक से नाराज चल रहा था।
पुलिस ने बताया कि लाइनमैन तेजबली सिंह पटेल ने राजेंद्र की पिटाई की और उसे अपमानजनक दंड दिया। उसने पीड़ित को अपने पैरों की चप्पलें चाटने और कान पकड़कर उठक-बैठक करने के लिए मजबूर किया।
पुलिस के अनुसार, पीड़ित राजेंद्र गांव में अपने रिश्तेदार के घर गया और बिजली संबंधी कुछ समस्याओं का समाधान किया था। अन्य ग्रामीण भी उसके पास आए और पूछा कि क्या वह उनकी बिजली संबंधी समस्याओं का समाधान कर सकता है, जिस पर वो दलित व्यक्ति सहमत हो गया। बदले में, राजेंद्र को उनकी सेवाओं के लिए कुछ पैसे मिले। इस कृत्य से आरोपी तेजबली सिंह पटेल क्रोधित हो गया, और उसने कथित तौर पर पीड़ित की पिटाई की और अपमानित किया।
पूरी घटना कई वीडियो में कैद हो गई, जो सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल है। आरोपी लाइनमैन को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले की आगे की जांच जारी है।
यह पहला मामला नहीं है जब उत्तर प्रदेश में किसी दलित व्यक्ति की पिटाई की गई हो। इस साल जनवरी में, एटा जिले में ऊंची जाति के हमलावरों में से एक की बाइक को रास्ता देने को लेकर हुए विवाद के बाद 30 वर्षीय दलित व्यक्ति और उसके 20 वर्षीय भाई की पिटाई की गई थी। पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
देश और यूपी का हाल
नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक 2018 से अब तक देशभर में करीब 1.90 लाख केस दलित उत्पीड़न के दर्ज किए जा चुके हैं। लेकिन इस दौरान यानी 2018 से अब तक सबसे ज्यादा 49.613 मामले सिर्फ यूपी में दर्ज हुए हैं। यूपी में 2017 से भाजपा की सरकार है और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं। लेकिन मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यूपी में 2018 में दलित उत्पीड़न की 11,924 एफआईआर दर्ज हुई। 2019 में 11,829 केस दलित उत्पीड़न के यूपी में दर्ज हुए। इसी तरह यूपी में 2020 में 12714, 2021 में 13146 मामले दलित उत्पीड़न के दर्ज हुए हैं। संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया कि 2020 के मुकाबले 2021 में दलित उत्पीड़न विरोधी मामलों में 1.2 फीसदी का उछाल देखा गया। हालांकि तमाम दलित संगठनों का कहना है कि ये सारे आंकड़े एफआईआर पर आधारित हैं लेकिन असली संख्या इससे कहीं ज्यादा है। तमाम मामलों में तो एफआईआर ही दर्ज नहीं की जाती।हालांकि एनसीआरबी मुस्लिम विरोधी अपराध या मुस्लिम हेट की घटनाओं का डेटा संकलित नहीं करता है लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशनल, यूएन ह्यमून राइट्स और इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्टों में अक्सर भारतीय मुसलमानों पर होने वाली घटनाएं प्रमुखता से आती रहती हैं। मुसलमानों के खिलाफ धर्म संसद आयोजित किए जाने के मामले पूरी दुनिया में रिपोर्ट किए गए। अमेरिका का विदेश विभाग हर साल धार्मिक आजादी पर जो रिपोर्ट जारी करता है, उसमें सबसे ज्यादा चिन्ता भारत के अल्पसंख्यकों पर होने वाले जुल्म पर जताई जाती है। हाल ही में जब पीएम मोदी अमेरिका यात्रा पर गए थे तो उनसे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पर तीखा सवाल भी विदेशी पत्रकार ने पूछा था। भारत में एक नेता के इस जुमले को आज भी रिपोर्ट किया जाता है कि उन्हें उनके कपड़ों से पहचानिए।
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