चुनावी गहमागहमी के वातावरण के बीच पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में भ्रमण करने का अवसर मिला। सरकार द्वारा जिस विकास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है उसका तो कहीं दूर तक नाम-ओ-निशान नहीं दिखाई दिया। शहरों व क़स्बों में वही टूटी-फूटी गड्ढेदार धूल भरी सड़कें, जगह जगह सड़कों व चौराहों पर लावारिस पशुओं के क़ब्ज़े, जाम पड़े सड़ांध मारते नाले व नालियां, आम लोगों के चेहरों पर छाई मायूसियाँ, युवाओं में अपने करियर के प्रति असुरक्षा का भय, महंगाई से दुखी जनता की पीड़ा, ग़रीबी सब कुछ साफ़ नज़र आता है।
यूपी चुनाव: काम नहीं फिर 'राम' का भरोसा?
- उत्तर प्रदेश
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- 23 Jan, 2022

विकास के दावे करती रही बीजेपी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 'अब्बा जान, जिन्ना, जालीदार टोपी, पाकिस्तान’ जैसे शब्दों का प्रयोग क्यों कर रही है? यदि इसने काम किया है तो धर्म का इस्तेमाल क्यों?
परन्तु इन धरातलीय स्थिति के बावजूद इन्हीं सड़कों पर सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रदेश में हज़ारों की संख्या में बड़े से बड़े इश्तेहारी फ़्लैक्स लगवाकर यह दावा किया गया है कि 'सोच ईमानदार-काम दमदार= फिर एक बार -भाजपा सरकार'। यह दावा इश्तेहार के नीचे के हिस्से में छपा है जबकि ऊपरी भाग में लिखा है -फ़र्क़ साफ़ है -तब-राम लला थे टेंट में= अब-भव्य राम मंदिर का निर्माण। 'तब' का अर्थ जब भाजपा सत्ता में नहीं थी और अब का अर्थ है कि भाजपा के शासन में मंदिर का निर्माण हो रहा है। गोया भाजपा अदालती फ़ैसले के बजाये राम मंदिर निर्माण का श्रेय स्वयं लेने को तत्पर है।