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यूपी उपचुनाव: भाजपा हताशा से उबर पाएगी या अखिलेश का रहेगा दबदबा

उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों के उपचुनाव के नतीजों का यों तो सरकार को बनाने-बिगाड़ने में कोई भूमिका नहीं होगी, लेकिन यह सत्तापक्ष और विपक्ष के कई दिग्गजों की राजनैतिक साख व भविष्य की दिशा व दशा तय करने वाले हैं। लोकसभा चुनावों में मुंह के बल गिरी भारतीय जनता पार्टी इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर हताशा से उबरना चाहती है तो विपक्षी समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव नतीजों से यह साबित करना चाहेंगे कि लोकसभा का प्रदर्शन वन टाइम वंडर नहीं बल्कि यूपी में उनके फिर से खड़े होने की शुरुआत थी।

लोकसभा चुनाव में हार के बाद चौतरफा निशाने पर आ चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल कर अपनी कुर्सी की धमक को बनाए रखने की चुनौती है तो भाजपा संगठन भी नतीजों से यह साबित करने की कोशिश करेगा कि उसका दबदबा अभी कायम है। हालाँकि लोकसभा चुनावों के दौरान जिस अति आत्मविश्वास को भाजपा ने अपनी कमजोरी के तौर पर इंगित किया उसी का प्रदर्शन करते हुए एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर संगठन ने उपचुनाव की सभी दसों सीटें जीतने का दावा करना शुरू कर दिया है।

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योगी के लिए बड़ी परीक्षा

लोकसभा चुनावों में हालत पस्त होने के बाद योगी को बदलने की मुहिम में जुटे भाजपा के एक धड़े को फिलहाल उपचुनाव का हवाला देकर चुप कराया जा रहा है। माना जा रहा है कि खुद योगी ने उपचुनावों में अधिक सीटें जीतने का भरोसा पार्टी आलाकमान को दिलाया है और उत्तर प्रदेश में नेतृत्व को लेकर कोई फ़ैसला अब इन चुनावों तक टालने के आसार भी बन रहे हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में मुख्यमंत्री योगी के लिए उपचुनाव जीतना सबसे अहम हो गया है। शायद यही कारण है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के अगले दिन से उन्होंने उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी।

पिछले चुनाव में 5-5 सीटें थीं एनडीए व सपा के पास

उत्तर प्रदेश में जल्द ही कुंदरकी, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर, फूलपुर, मझवा, मीरापुर, ग़ाज़ियाबाद, खैर व सीसामऊ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इनमें से सीसामऊ की सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी के आपराधिक मुकदमें में सजा होने के चलते खाली हुई है जबकि बाकी सीटों के विधायक हाल ही में लोकसभा का चुनाव जीत गए हैं। इनमें से सीसामऊ, कुंदरकी, मिल्कीपुर, कटेहरी और करहल सीटें सपा ने तो गाजियाबाद, खैर, फूलपुर भाजपा ने और मझवा सीट उसके सहयोगी निषाद पार्टी व मीरापुर राष्ट्रीय लोकदल ने जीती थी। अब भाजपा के सामने अपनी पांच सीटें बचाने की तो चुनौती है ही उससे भी आगे बढ़कर सपा से कुछ सीटें जीतकर अपने को अभी भी उत्तर प्रदेश में बीस साबित करना है।

आसान नहीं होगा सपा से मुकाबला

दरअसल, उपचुनाव में भाजपा दसों सीटें जीतने का दावा भले ही कर रही है पर उसके रणनीतिकारों का मानना है कि सपा के कब्जे में रही पांचों सीटों पर दाल गलना बहुत मुश्किल है। इनमें सीसामऊ और कुंदरकी की सीटों पर भारी तादाद में अल्पसंख्यक वोट हैं और यहां 2017 में भाजपा के प्रचंड बहुमत मिलने की दशा में भी सपा जीती थी। कटेहरी की सीट कद्दावर नेता लालजी वर्मा के दबदबे वाली है जहां से भाजपा को अपने सुनहरे दिनों में भी जीतने के लाले पड़ते रहे हैं। 

करहल की सीट से खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव विधायक चुने गए थे और ये उनके परिवार की पैतृक सीट रही है। मिल्कीपुर सीट अवधेश प्रसाद के अयोध्या से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। यहां दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों की तादाद को देखते हुए भाजपा की राह आसान नहीं है।

एनडीए के कब्जे वाली सीटों पर भी चुनौती

उपचुनावों में भाजपा के लिए शहरी आबादी वाली गाजियाबाद और कुछ हद तक खैर की सीट को छोड़ दें तो बाकी सभी जगहों पर खासी मुश्किल नजर आती है। हालांकि खैर सीट पर आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर रावण का खासा प्रभाव है और वो भी कुछ गुल खिला सकते हैं। मीरापुर से पिछली बार रालोद के चंदन चौहान जीते थे जब सपा के साथ गठबंधन था। इस बार भाजपा मीरापुर की सीट पर अपना प्रत्याशी उतारना चाहती है। मझवा की सीट पर निषाद पार्टी के विधायक जीते थे और इस बार उसकी दावेदारी इस सीट पर है। जिस तरह पिछड़ों, अल्पसंख्यकों की गोलबंदी लोकसभा चुनावों में सपा के पक्ष में दिखी उसे देखते हुए फूलपुर की सीट को बरकरार रखना भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी।

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एनडीए व इंडिया के सहयोगी दल कर रहे दावे

उपचुनाव की सीटों को लेकर एनडीए के सहयोगी दल निषाद पार्टी व रालोद अपना हिस्सा मांग रहे हैं तो इंडिया गठबंधन में सपा की सहयोगी कांग्रेस भी कुछ सीटों पर लड़ना चाहती है। निषाद पार्टी अपने कब्जे वाली मझवा के अलावा फूलपुर सीट मांग रही तो रालोद अपनी मीरापुर सीट के अलावा खैर पर दावा ठोंक रही है। हालांकि भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों का कहना है कि कमोबेश सभी सीटों पर पार्टी खुद ही लड़ेगी बस मारीपुर की सीट रालोद को दी जा सकती है। उधर इंडिया गठबंधन में कांग्रेस ने मझवा, गाजियाबाद, खैर और फूलपुर सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर दी है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव गाजियाबाद के अतिरिक्त कोई एक और सीट कांग्रेस को लड़ने के लिए दे सकते हैं।

योगी ने लगाई 30 मंत्रियों की ड्यूटी

उपचुनावों को अपने अस्तित्व की लड़ाई बना चुके योगी आदित्यनाथ बीते एक महीने से तैयारी में जुटे हैं। उन्होंने हर सीट पर मंत्रियों की ड्यूटी लगा दी है। प्रत्येक सीट पर एक कैबिनेट मंत्री के साथ दो राज्यमंत्री को प्रभारी बना दिया गया है। इस तरह से प्रदेश सरकार के 30 मंत्री उपचुनाव में जुटा दिए गए हैं। बुधवार को ही प्रभारी मंत्रियों के साथ उपचुनाव की समीक्षा करते हुए योगी ने उनसे हफ्ते में कम से कम दो रातें उपचुनाव वाले क्षेत्रों में ही गुजारने के निर्देश दिए हैं।

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कुमार तथागत
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