शुक्रवार, 3 जून को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स शिखर सम्मेलन के ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह में बोलते हुए, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि उनके शासन में राज्य में बेरोजगारी दर 18 प्रतिशत से गिरकर 2.9 प्रतिशत हो गई है। योगी ने 2017 में यूपी की कमान संभाली थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा फिर से जीती और योगी दोबारा सीएम बने। लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले यूपी सरकार ने 60,244 सिपाहियों की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। 50 लाख से ज्यादा युवकों ने आवेदन किया है। ये भर्ती ऐसे में यूपी सरकार के बेरोजगारी घटने के दावों पर सवाल उठना लाजिमी है।
आज उत्तर प्रदेश में Unemployment rate 18% से घटकर 2.9% हो गया है... pic.twitter.com/OPbLV7nNal
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 3, 2022
सीएमआईई डेटा के अप्रैल 2022 का आंकड़ा बताता है कि यूपी में 2.9 प्रतिशत बेरोजगारी दर थी। इससे पता चलता है कि जब आदित्यनाथ ने कार्यभार संभाला था तब बेरोजगारी दर कम थी। इससे पहले, COVID-19 महामारी के बीच, अप्रैल 2020 में बेरोजगारी दर बढ़कर 21.5 प्रतिशत हो गई थी।
हालांकि वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) और राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के मुताबिक यूपी में 2017-2018 में बेरोजगारी दर 6.2 प्रतिशत थी। सीएमआईई के आंकड़ों से पता चलता है कि यूपी में बेरोजगारी दर 18 प्रतिशत तक पहुंच गई है, लेकिन यह जून 2016 में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी सरकार के तहत और योगी के सत्ता में आने से कुछ महीने पहले थी। मार्च 2017 में जब भाजपा ने यूपी की सत्ता संभाली तो यह दर 2.4 फीसदी थी। यानी योगी आदित्यनाथ को विरासत में 2.4 फीसदी बेरोजगारी दर मिली थी।
अप्रैल 2022 के बाद से बेरोजगारी दर बढ़कर 3.1 फीसदी हो गई। अगर मार्च 2017 की बेरोजगारी दर की तुलना मई 2022 से करें तो पता चलता है कि बीजेपी सरकार में इसमें बढ़ोतरी हुई है। यह तथ्य सही है कि हरियाणा में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। जहां दिसंबर 2022 में 37.4 फीसदी बेरोजगारी दर है। लेकिन यूपी में सिपाही भर्ती के लिए आए आवेदन से साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी को लेकर किए गए तमाम प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं।
अपनी राय बतायें