हाथरस गैंगरेप मामले में पुलिस और प्रशासन के दम पर दमन पर उतारू योगी सरकार की खासी किरकिरी हो रही है। पुलिसिया दमन करके वह पत्रकारों, विपक्ष और आम लोगों की आवाज़ को कुचलने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन पार्टी के भीतर से उठ रही आवाज़ों के लिए वह क्या करेगी।
ग़ाज़ियाबाद की लोनी सीट से विधायक नंद किशोर गुर्जर द्वारा उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को पत्र लिखकर प्रदेश के डीजीपी, हाथरस के डीएम और एसएसपी समेत मामले को देख रहे अन्य अधिकारियों पर हत्या का मुक़दमा दर्ज करने की मांग के बाद पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने योगी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।
राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शुमार रहीं और बीजेपी सरकार व संगठन में भी कई अहम पदों को संभाल चुकीं उमा भारती ने शुक्रवार शाम को दनादन ट्वीट किए। इन ट्वीट्स में उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित करते हुए काफी कुछ लिखा है।
उमा ने लिखा है कि अगर वह कोरोना संक्रमित होने के कारण अस्पताल में भर्ती नहीं होतीं तो हाथरस के गांव में पीड़िता के परिवार के साथ बैठी होतीं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा ने लिखा, ‘हाथरस की घटना में जिस प्रकार से पुलिस ने गांव की एवं पीड़ित परिवार की घेरेबंदी की है, उसके कितने भी तर्क हों लेकिन इससे विभिन्न आशंकाएं जन्मती हैं। वह एक दलित परिवार की बेटी थी। बड़ी जल्दबाज़ी में पुलिस ने उसकी अंत्येष्टि की और अब पुलिस के द्वारा परिवार एवं गांव की घेरेबंदी कर दी गयी है।’
भगवा वस्त्र धारण करने वालीं उमा भारती ने आगे लिखा, ‘मेरी जानकारी में ऐसा कोई नियम नहीं है कि एसआइटी जांच के दौरान परिवार किसी से मिल भी ना पाये, इससे तो एसआईटी की जांच ही संदेह के दायरे में आ जायेगी।’
अंत में उमा लिखती हैं कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वे पीड़ित परिवार से ज़रूर मिलेंगी। उन्होंने यह भी लिखा है कि वह बीजेपी में उनसे (योगी से) वरिष्ठ हैं, इसलिए आग्रह है कि उनके सुझाव को अमान्य न करें।
योगी सरकार पर बढ़ाया दबाव
उमा ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ ट्वीट करके योगी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। क्योंकि बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने जो पत्र राज्यपाल को लिखा है, उस वजह से और राज्य बीजेपी के कुछ दलित सांसदों द्वारा हाथरस प्रकरण को लेकर तीख़ी टिप्पणी करने से योगी सरकार पहले से ही परेशान है। उलटा उसने मीडिया को पीड़िता के गांव में जाने से रोककर अपनी मुसीबतों में इजाफा कर लिया है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में उत्तर प्रदेश बीजेपी के चार दलित सांसदों ने हाथरस मामले में पुलिस की कार्रवाई की निंदा की और कहा कि इसकी उचित जांच होनी चाहिए। उन्होंने परिवार को शामिल किए बिना युवती का दाह संस्कार करने पर भी सवाल उठाए।
कौशांबी के सांसद विनोद कुमार सोनकर ने कहा कि निश्चित रूप से इस घटना से राज्य और हमारी सरकार की छवि ख़राब हुई है और इससे राजनीतिक नुक़सान भी हो रहा है। सोनकर ने इस तरह की घटनाओं के लिए पुलिस में जातिवाद और भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होने की बात मानी।
पुलिसिया तानाशाही चरम पर
पुलिस ने 14 सितंबर को उस दलित युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार को मानने से मना कर दिया है। अपनी सरकारी रिपोर्ट में उसने अभियुक्तों की पिटाई के कारण लकवाग्रस्त हो चुकी दलित युवती को लगी चोटों का जिक्र नहीं किया। रात में सफदरजंग से शव को हाथरस पहुंचा दिया, परिजनों की लाख मनुहार के बाद उनकी बेटी का चेहरा उन्हें नहीं देखने दिया और युवती का दाह संस्कार कर दिया।इसके बाद पुलिस ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को पीड़िता के गांव में नहीं पहुंचने दिया। पीड़िता के परिवार वाले लगातार कह रहे हैं कि उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है, डीएम दबाव बना रहे हैं और उन्हें मीडिया से बात नहीं करने दी जा रही है।
अपनी राय बतायें