हाथरस गैंगरेप मामले में खासी किरकिरी झेल रही योगी सरकार को आख़िरकार अपने अफ़सरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी ही पड़ी। सरकार ने शुक्रवार शाम को जिले के एसपी और डीएसपी को निलंबित कर दिया है। निलंबित होने वालों में एसपी विक्रांत वीर, डीएसपी राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश वर्मा, एसआई जगवीर सिंह और हेड कांस्टेबल महेश पाल का नाम शामिल है। सरकार ने कहा है कि इन सभी का नार्को पॉलिग्राफ़ टेस्ट कराया जाएगा।
हालांकि डीएम के ख़िलाफ़ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लेकिन पीड़िता के परिवार को उनके द्वारा धमकाए जाने का वीडियो सामने आने के बाद उनके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की मांग जोर-शोर से उठ रही है।
प्रियंका बोलीं- योगी इस्तीफ़ा दो
योगी सरकार की इस कार्रवाई के तुरंत बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर पूछा, ‘कुछ मोहरों को निलंबित करने से क्या होगा? हाथरस की पीड़िता, उसके परिवार को भीषण कष्ट किसके ऑर्डर पर दिया गया? हाथरस के डीएम, एसपी के फ़ोन रिकॉर्ड्स पब्लिक किए जाएं।’ प्रियंका ने लिखा कि मुख्यमंत्री जी अपनी जिम्मेदारी से हटने की कोशिश न करें, देश देख रहा है। उन्होंने योगी आदित्यनाथ से इस्तीफ़ा देने के लिए कहा।
नेताओं ने बढ़ाया दबाव
हाथरस मामले में मीडिया, आम जनों के सवालों से परेशान योगी सरकार अपनी ही पार्टी के नेताओं के कारण भी दबाव में है। पहले बीजेपी के दलित सांसदों के तीख़े बयान, उसके बाद बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर का पत्र और अब वरिष्ठ नेता उमा भारती की टिप्पणियों ने योगी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। उलटा उसने मीडिया को पीड़िता के गांव में जाने से रोककर अपनी मुसीबतों में इजाफा कर लिया है।
राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शुमार रहीं उमा भारती ने शुक्रवार शाम को दनादन ट्वीट किए। इन ट्वीट्स में उन्होंने लिखा, ‘हाथरस की घटना में जिस प्रकार से पुलिस ने गांव की एवं पीड़ित परिवार की घेरेबंदी की है, उसके कितने भी तर्क हों लेकिन इससे विभिन्न आशंकाएं जन्मती हैं।’
उमा भारती ने, केंद्र व योगी सरकार और बीजेपी को साफ संदेश देते हुए लिखा कि हमने अभी राम मंदिर का शिलान्यास किया है तथा आगे देश में रामराज्य लाने का दावा किया है, किन्तु इस घटना पर पुलिस की संदेहपूर्ण कार्रवाई से आपकी, उत्तर प्रदेश सरकार की तथा बीजपी की छवि पे आंच आयी है। उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री से मेरा अनुरोध है कि आप मीडियाकर्मियों को एवं अन्य राजनीतिक दलों के लोगों को पीड़ित परिवार से मिलने दीजिये।’
बीजेपी सांसद बोले- पुलिस में जातिवाद
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में उत्तर प्रदेश बीजेपी के चार दलित सांसदों ने हाथरस मामले में पुलिस की कार्रवाई की निंदा की और कहा कि इसकी उचित जांच होनी चाहिए। उन्होंने परिवार को शामिल किए बिना युवती का दाह संस्कार करने पर भी सवाल उठाए।
कौशांबी के सांसद विनोद कुमार सोनकर ने कहा कि निश्चित रूप से इस घटना से राज्य और हमारी सरकार की छवि ख़राब हुई है और इससे राजनीतिक नुक़सान भी हो रहा है। सोनकर ने इस तरह की घटनाओं के लिए पुलिस में जातिवाद और भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होने की बात मानी।
टीएमसी सांसदों के साथ बदतमीजी
शुक्रवार को हाथरस पीड़िता के परिवार से मिलने जा रहे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसदों के साथ उत्तर प्रदेश की पुलिस ने जिस तरह की बदतमीजी की है, वह बेहद शर्मसार करने वाली है। टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन के साथ हाथरस के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा ने धक्का-मुक्की कर उन्हें जमीन पर गिरा दिया। टीएमसी के सांसद दिल्ली से यही इरादा लेकर आये थे कि वे पीड़िता के परिवार से मिल सकेंगे। लेकिन पीड़िता के गांव के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात हैं, जिनकी सिर्फ एक ही ड्यूटी है कि पीड़िता के घर तक कोई न पहुंच जाए।पुलिसिया तानाशाही चरम पर
पुलिस ने 14 सितंबर को उस दलित युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार को मानने से मना कर दिया है। अपनी सरकारी रिपोर्ट में उसने अभियुक्तों की पिटाई के कारण लकवाग्रस्त हो चुकी दलित युवती को लगी चोटों का जिक्र नहीं किया। रात में सफदरजंग से शव को हाथरस पहुंचा दिया, परिजनों की लाख मनुहार के बाद उनकी बेटी का चेहरा उन्हें नहीं देखने दिया और युवती का दाह संस्कार कर दिया।इसके अलावा पत्रकारों से बदतमीजी की जा रही है, पीड़िता के घरवालों पर दबाव बनाया जा रहा है, सबूतों को मिटाया जा रहा है और हाथरस में पुलिसिया गुंडागर्दी चरम पर है। कुल मिलाकर पीड़िता के पक्ष में उठने वाली हर उस आवाज़ को कुचलने की कोशिश की जा रही है, जिससे उसे इंसाफ़ मिल सके। पीड़िता के परिवार वाले लगातार कह रहे हैं कि उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है, डीएम दबाव बना रहे हैं और उन्हें मीडिया से बात नहीं करने दी जा रही है।
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