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अखिलेश का नया दाँव- माता प्रसाद पाण्डेय को बनाया नेता प्रतिपक्ष

अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव को नहीं, माता प्रसाद पाण्डेय को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया है। सांसद बनने से पहले अखिलेश ख़ुद इस पद पर थे। लेकिन संसद में पहुँचने के बाद अखिलेश ने यूपी की राजनीतिक सियासत को देखते हुए बड़ी चाल चली है। सिद्धार्थनगर की इटवा विधानसभा से विधायक माता प्रसाद पाण्डेय सपा के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। पूर्वांचल की राजनीति में उनका बड़ा रसूख है। 

नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में इंद्रजीत सरोज, रामअचल राजभर और तूफानी सरोज का नाम चल रहा था। हालाँकि, शिवपाल यादव को भी मुख्य दावेदार माना जा रहा था। इसको लेकर समाजवादी पार्टी ने अपने विधायकों की बैठक बुलाई थी। विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष चुनने की ज़िम्मेदारी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष पर छोड़ दी थी। अब अखिलेश यादव ने विधानसभा के पूर्व स्पीकर माता प्रसाद पाण्डेय के नाम पर मुहर लगा दी। समाजवादी पार्टी ने इसको लेकर बयान जारी किया है।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के अलावा कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक और राकेश कुमार उर्फ आरके वर्मा को उप सचेतक नियुक्त किया गया है। सपा की ओर से विधायक महबूब अली को अधिष्ठाता मंडल बनाया गया है। 

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माता प्रसाद पाण्डेय को विधानसभा में बड़ी ज़िम्मेदारी दिए जाने के पीछे बड़ी वजह सामाजिक समीकरण को बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अखिलेश ने पीडीए के बाद ब्राह्मण कार्ड चला है। यूपी में ब्राह्मणों की आबादी 12 फीसदी से अधिक है। माना जा रहा है कि हाल के लोकसभा चुनाव में पिछड़े और दलितों ने बड़ी संख्या में सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट दिया। अगड़ी जातियों के वोट बीजेपी को गए। अब माना जा रहा है कि अखिलेश ने माता प्रसाद के माध्यम से ब्राह्मणों को साधने में जुट गए हैं।
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माता प्रसाद पूर्वांचल से आते हैं। सिद्धार्थनगर की इटवा सीट से मौजूदा विधायक हैं। आठ बार वह एमएलए चुने गए हैं। वह दो बार विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनको विधानसभा चलाने का लंबा अनुभव है। पहले 2012 में जब अखिलेश पहली बार यूपी के सीएम बने थे, तब उन्होंने माता प्रसाद पांडे को विधानसभा का अध्यक्ष बनाया था। 

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क़मर वहीद नक़वी
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