विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश में सपा नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की टाइमिंग को लेकर बीजेपी के ही सहयोगी दल निषाद पार्टी ने सवाल उठाए हैं। निषाद पार्टी का कहना है कि सरकार के पास सूचना थी तो छह महीने-साल भर पहले कार्रवाई क्यों नहीं गई। निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने कहा कि इससे मतदाताओं के बीच ग़लत संदेश जाएगा।
निषाद ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि एक दिन में तो लोग अपराधी हो नहीं गए होंगे, अब तक ख़ुफ़िया एजेंसियां कहां थीं, अफ़सर कहां थे, छापेमारी पहले करनी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि अफ़सर इस तरह की कार्रवाई कर सरकार के ख़िलाफ़ ही माहौल बना रहे हैं। हालांकि बाद में उन्होंने एएनआई से बातचीत में आयकर विभाग की कार्रवाई का पूरा समर्थन किया और कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया है।
बता दें कि शनिवार को अखिलेश यादव के क़रीबियों के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी। इनमें मऊ में सपा के प्रवक्ता राजीव राय, मैनपुरी में आरसीएम ग्रुप के मालिक मनोज यादव और लखनऊ में जैनेंद्र यादव के घर पर छापेमारी हुई थी। इसके अलावा आगरा में भी छापेमारी की ख़बर आई थी।
अखिलेश का सवाल
लेकिन सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने इस छापेमारी पर कहा था कि अब तो दिल्ली से सीबीआई और ईडी की टीम भी आएंगी। उन्होंने कहा कि इस तरह के षड्यंत्रों से साइकिल की रफ़्तार कम नहीं होगी। अखिलेश ने सवाल उठाया था कि ठीक चुनाव के वक़्त ही यह कार्रवाई क्यों की जा रही है।
नाराज़ हैं संजय निषाद
संजय निषाद ने कुछ दिन पहले बीजेपी के साथ लखनऊ में रैली की थी। लेकिन उन्होंने मछुआ आरक्षण को लेकर कोई घोषणा नहीं करने पर नाराज़गी जताई है। उन्होंने बीजेपी से कहा है कि वह मछुआरों के आरक्षण को लेकर जल्द कोई फ़ैसला करे।
आयकर विभाग की छापेमारी के मामले में भी संजय निषाद का रूख़ सपा से मिलता है। देखना होगा कि क्या वे बीजेपी के साथ बने रहेंगे या अपनी राहों को अलग कर लेंगे।
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