मजदूरों के लिए बसें चलाने के कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रस्ताव पर चतुराई दिखा रही योगी आदित्यनाथ सरकार अब बुरी तरह फंस गयी है। उत्तर प्रदेश आ रहे प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए प्रियंका गांधी ने 1000 बसें देने का प्रस्ताव योगी सरकार के सामने रखा था। 2 दिन तक चुप रहने के बाद योगी सरकार ने प्रस्ताव स्वीकार कर सोमवार को बसों की सूची मांगी।
प्रियंका गांधी की ओर से तुरंत बसों की सूची सौंपने के बाद योगी सरकार ने बौखला कर सोमवार आधी रात को एक चिट्ठी भेज कर इन बसों को लखनऊ लाकर इनका फिटनेस सर्टिफिकेट और ड्राइविंग लाइसेंस दिखाने का फरमान दे दिया। जबकि प्रियंका गांधी की ओर से मजदूरों को लाने के लिए उपलब्ध करायी गईं बसें नोएडा व ग़ाज़ियाबाद की सीमा पर खड़ी हैं।
आनन-फानन में बसों को लखनऊ लाकर चेक करवाने के प्रस्ताव पर प्रियका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने मंगलवार तड़के चिट्ठी का जवाब देते हुए कहा कि मजदूर यूपी की सीमा पर फंसे हैं और खाली पड़ी बसों को लखनऊ बुलाया जा रहा है। उन्होंने इसे राजनीति करार देते हुए कहा कि नोडल अफ़सर तय कर बसों की चेकिंग वगैरह नोएडा-ग़ाज़ियाबाद में करवा ली जाए और मजदूरों को लाने दिया जाए।
प्रियंका गांधी ने शनिवार (16 मई) को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संकट में फंसे प्रवासी मजदूरों को लाने व ले जाने के लिए अपनी ओर से 1000 बसें देने की पेशकश की थी।
प्रियंका गांधी का पत्र लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना शुक्ला मोना मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचे थे। मुख्यमंत्री के न मिलने पर दोनों नेताओं ने वहां के स्टाफ़ को यह पत्र दिया था।
प्रियंका गांधी के पत्र पर 2 दिन तक चुप्पी साधे बैठी रही योगी सरकार ने सोमवार (18 मई) को पत्र का संज्ञान लिया और प्रस्ताव को स्वीकारते हुए बसों की सूची मांगी। प्रदेश सरकार को पत्र के मिलने से पहले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बसों की सूची मीडिया के सामने पेश कर चुके थे। बहरहाल, सोमवार देर शाम कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर बसों की सूची प्रदेश सरकार को सौंप दी।
आधी रात को भेजा तुग़लकी फ़रमान
पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा सवाल उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग पर उठ रहे हैं। पहला सवाल यह कि प्रियंका गांधी के प्रस्ताव को 2 दिन तक दबाए क्यों रखा गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार सुबह एक निजी टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में प्रियंका के प्रस्ताव वाले सवाल पर कह दिया कि सरकार बसों की सूची मांग रही है लेकिन यह उन्हें उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।
योगी के इस बयान पर तुरंत यूपी सरकार की कलई उतारते हुए सवालों की बरसात होने लगी। आनन-फानन में सोमवार दोपहर बाद गृह विभाग के सचिव अवनीश अवस्थी ने प्रियंका की चिट्ठी की तलाश करवाई और उसका जवाब भिजवाया। बसों की सूची मिलने के बाद सोमवार रात को अवनीश अवस्थी ने प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह को ई-मेल कर बसों को लखनऊ लाकर ड्राइविंग लाइसेंस व फिटनेस सर्टिफिकेट दिखाने को कह दिया।
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बेतुके प्रस्ताव पर हो रही किरकिरी
बसों को नोएडा-ग़ाज़ियाबाद से लखनऊ लाकर ड्राइविंग लाइसेंस व फिटनेस सर्टिफिकेट दिखाने के योगी सरकार के अफ़सर अवनीश अवस्थी के फरमान से हर कोई हैरान हुआ। प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने इस पत्र का जवाब सोमवार रात को 2 बजे देते हुए कहा कि मजदूर यूपी की सीमाओं पर फंसे हैं और सरकार खाली बसों को लखनऊ बुला रही है। उन्होंने कहा कि मजदूर संकट में फंसे हुए हैं और प्रदेश सरकार राजनीति से बाज़ नहीं आ रही है।
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पहले से तैयार थी कांग्रेस, सरकार चूकी
इस पूरे मामले में योगी सरकार के अफ़सर व सलाहकार खासकर गृह विभाग के मुखिया से आकलन में चूक हो गयी। पहले तो मुख्यमंत्री को प्रियंका गांधी के पत्र के बारे में सही जानकारी नहीं दी गयी और न ही अफ़सरों ने इसे कोई तवज्जो दी।
टीवी चैनल पर मुख्यमंत्री के बयान पर गृह विभाग हरक़त में आया। दरअसल, गृह विभाग को अंदाजा था कि बसों की सूची मांगने पर कांग्रेस फंस जाएगी और उसे समय लगेगा। उधर, कांग्रेस सूची लेकर तैयार बैठी थी और उसने इसे तुरंत जारी कर दिया। बसों को लखनऊ बुलाकर तमाम कागजात दिखाने के फरमान से तो सरकार की छीछालेदर ही शुरू हो गयी।
छीछालेदार होने पर गृह विभाग की ओर से मंगलवार सुबह एक और पत्र भेजकर कहा गया कि योगी सरकार इन बसों को ग़ाज़ियाबाद और नोएडा में लेने के लिए तैयार है।
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पत्र में यह भी कहा गया है कि बसों के ज़रूरी कागजात संबंधित अधिकारियों द्वारा वहीं देखे जाएंगे। प्रियंका गांधी ने मंगलवार को दोबारा बसें भेजी हैं। आगरा जिले में उत्तर प्रदेश बॉर्डर के ऊंचा नगला प्वाइंट पर बसों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है।
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