यूपी में जिस समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच लंबे समय से सीट बँटवारा नहीं हो पा रहा था और जिसको लेकर अलग-अलग चुनाव लड़ने तक के कयास लगाए जाने लगे थे, उनमें आख़िर सहमति कैसे बन गई? आख़िर यह चौंकाने वाली ख़बर कैसे आ गई कि दोनों दलों के बीच सीटों पर सहमति बन गई है? रिपोर्ट है कि बुधवार सुबह प्रियंका गांधी वाड्रा ने हस्तक्षेप किया और अखिलेश से फोन पर बातचीत की। फोन पर बात होते ही बुधवार को ही घोषणा कर दी गई कि कांग्रेस-सपा में सीट-बंटवारा हो गया है। समझौते के अनुसार, कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बाकी 80 में से 63 सीटें पर समाजवादी पार्टी।
इस घोषणा से पहले बुधवार सुबह ही अखिलेश यादव ने संकेत दिया था कि सब कुछ ठीक है और गठबंधन बरकरार है। इससे पहले सीट-बँटवारे की बातचीत में तब रुकावट आ गई थी जब अखिलेश यादव ने एक शर्त रख दी थी। कुल 17 सीटों की पेशकश करते हुए अखिलेश ने कांग्रेस को अपनी आखिरी पेशकश की और लगभग अल्टीमेटम दे दिया था कि वह राज्य में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में तब तक शामिल नहीं होंगे जब तक कांग्रेस इस पेशकश को स्वीकार नहीं कर लेती।
हालाँकि, सीट बँटवारा होने की घोषणा करने के लिए बुलाई गई कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों दलों के नेताओं ने सीट-बँटवारे को अंतिम रूप देने और ठीक करने के लिए अखिलेश यादव और मल्लिकार्जुन खड़गे को श्रेय दिया।
कुछ मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यह सफलता सोनिया गांधी और उनकी बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा के हस्तक्षेप के बाद हासिल की जा सकी है। रिपोर्टों के अनुसार वाड्रा ने बातचीत शुरू की और दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर बुलाया। उन्होंने पहले अपने भाई राहुल गांधी से बात की और फिर राज्य में सीट-बंटवारे पर गतिरोध को तोड़ने और गठबंधन को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के लिए अखिलेश यादव से बात की।
सीट-बंटवारे की बातचीत में प्रियंका गांधी की भूमिका ऐसे समय में सामने आई है जब उनकी मां सोनिया गांधी के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली से लोकसभा में उनके पदार्पण की अटकलें लगाई जा रही हैं।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस इंडिया ब्लॉक में भागीदार हैं। दोनों के बीच सीट-बंटवारे की बातचीत की सफलता महत्वपूर्ण है। खासकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ ऐसी बातचीत की विफलता के बाद, जिन्होंने अपने राज्य में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। बिहार में जेडीयू और यूपी में आरएलडी एनडीए में शामिल हो गये हैं। इसकी एक अन्य सहयोगी पार्टी आप ने भी पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हालाँकि अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि दोनों दलों की सहमति से ऐसा हो रहा है। उन्होंने एक दिन पहले ही कहा है कि दिल्ली में आप और कांग्रेस के बीच सीट बँटवारे की बातचीत अंतिम दौर में है।
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