उत्तर प्रदेश के आगरा में क्वरेंटीन किए गए लोगों के साथ अमानवीय सलूक करने का मामला सामने आया है। जिस संस्थान में लोगों को क्वरेंटीन किया गया है, वहां के लोगों के लिए गेट के बाहर ही खाने-पीने का सामान रख दिया गया है। इस घटना के वायरल वीडियो में दिख रहा है कि लोग गेट में बने लोहे के खांचों में से बहुत मुश्किल से हाथ फंसाकर खाने-पीने का सामान लेने के लिए मजबूर हैं।
केंद्र व राज्य सरकारों की ओर से बार-बार सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिए कहा जा रहा है लेकिन यहां भूखे-प्यासे लोगों के सामने जिस तरह खाना दूर से ‘फेंक’ दिया गया है और जिसे लेने के लिए उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है, उसमें कैसे वे सोशल डिस्टेंसिंग को फ़ॉलो कर पाएंगे क्योंकि उन्हें पहले पेट की भूख को शांत करना है।
क्वरेंटीन किए गए लोगों के लिए गेट के बाहर एक चारपाई पर चाय रख दी गई है। पानी की बोतलों के पैकेट रखे गए हैं, जिसे बहुत मुश्किल से फाड़कर वे बोतल निकाल रहे हैं। इसी बीच पीपीई किट पहने हुए एक शख़्स आता है और वह बिस्कुट के पैकेट दूर से ही गेट के सामने फेंक देता है।
इस घटना के एक और वायरल वीडियो में एक महिला कहती है, ‘आइसोलेट किए गए लोगों को खाना-पीना तक नहीं मिल रहा है। इन्हें यहां मेडिकल चेक-अप के लिए लाया गया है, लेकिन कोई चेक-अप नहीं हो रहा है।’
डॉक्टर्स और जिला प्रशासन की लापरवाही का यह आलम तब है जब आगरा के मेयर ने राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि वे इस शहर को बचा लें। अगर प्रशासन और डॉक्टर्स क्वरेंटीन सेंटर में रखे गए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए चाय-पानी दे देते तो इससे ना उन्हें कुछ परेशानी होती और ना ही वायरस के फैलने का ख़तरा बढ़ता।
इस बारे में आगरा के डीएम प्रभु एन. सिंह का कहना है कि वह मौक़े पर गए और हालात का जायजा लिया। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से कहा है कि आगे से ऐसी शिकायतें नहीं आनी चाहिए।
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