प्रधानमंत्री ने अपने ‘मन की बात’ की बात एक बार फिर पूरी कर ली। सुनने के बाद लोग काफ़ी हल्के भी हो गए। रविवार को दस बजने के पहले तक कई तरह की शंकाएँ थीं। लोगों के मन में भय था कि प्रधानमंत्री फिर से कुछ और करने के लिए नहीं कह दें। अक्षय तृतीया सहित संयोग भी कई थे। प्रधानमंत्री ने ही सारे गिनवा भी दिए। वह चाहते तो कुछ और निवेदन कर भी सकते थे। पर उन्होंने वैसा कुछ भी नहीं किया। लोगों के मन में एक और बड़ा डर ‘लॉकडाउन’ की समाप्ति को लेकर भी था। मीडिया वाले ऐसे तमाम अवसरों पर भविष्यवाणियाँ करने की तैयारी करके रखते हैं कि प्रधानमंत्री कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। पर वैसा भी कुछ नहीं हुआ। लोगों ने उस समय एक लम्बी राहत की साँस ली होगी जब प्रधानमंत्री ने अपनी बात यह कहते हुए ख़त्म कर दी कि : ‘दो गज की दूरी, है बहुत ज़रूरी।’
करना तो जनता भी चाहती है अपने मन की बात मोदी से! सुनेंगे?
- विचार
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- 27 Apr, 2020

प्रधानमंत्री के पास तो अपने मन की बात कह देने के कई ज़रिए हैं। नागरिकों को अगर अपनी कोई बात प्रधानमंत्री से करनी हो तो कैसे करें? लोग भी बहुत कुछ कहना चाहते हैं। पर कैमरों के सामने नहीं। क्या हम ऐसे ही किसी चमत्कार की उम्मीद रख सकते हैं जिसमें प्रजा भी अपने मन की बात सीधे राजा के कानों में कह सके?