इससे पहले कि प्रधानमंत्री, सूबों के मुख्यमंत्री या ज़िले का कोई बड़ा अधिकारी अपने किसी संदेश अथवा सूचना के साथ हमसे मुख़ातिब हो, हमारे लिए अपने ही अंदर यह टटोल लेना ज़रूरी है कि जो कुछ भी पहले कहा गया है और आगे कहा जाने वाला है, क्या उसे हम बिना किसी संदेह के और ईमानदारी के साथ स्वीकार कर रहे हैं।