इससे पहले कि प्रधानमंत्री, सूबों के मुख्यमंत्री या ज़िले का कोई बड़ा अधिकारी अपने किसी संदेश अथवा सूचना के साथ हमसे मुख़ातिब हो, हमारे लिए अपने ही अंदर यह टटोल लेना ज़रूरी है कि जो कुछ भी पहले कहा गया है और आगे कहा जाने वाला है, क्या उसे हम बिना किसी संदेह के और ईमानदारी के साथ स्वीकार कर रहे हैं।
लॉकडाउन: क्या सरकार ने हमें सारी बातें ईमानदारी से बताईं?, कुछ छुपाया तो नहीं!
- विचार
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- 29 Apr, 2020

दूसरा लॉकडाउन भी ख़त्म होने वाला है। क्या इस दौरान सरकार की ओर से हमें पारदर्शी तरीक़े से अपनी तैयारियों और कमज़ोरियों के बारे में बताया गया।
हमें किसी भी क्षण ऐसा महसूस नहीं होता कि कहीं कुछ ऐसा है जो हमारे साथ शेयर नहीं किया जा रहा है, एक-एक बात तौल-तौल कर कही जा रही है, कोई लिखी हुई स्क्रिप्ट पढ़ी जा रही है, सारी बातें खोलकर और खुलकर नहीं बताई जा रही हैं आदि- आदि।