मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब रविवार को दादरी में रैली को संबोधित कर रहे थे, तब ताली बजाने और नारे लगाने वालों में अख़लाक की हत्या के आरोपी सबसे आगे थे। इसमें मुख्य आरोपी विशाल राणा भी शामिल था। ये आरोपी ज़मानत पर हैं। याद दिला दें कि साल 2016 में एक अफ़वाह के बाद भीड़ 55 साल के अख़लाक और उसके बेटे को घर से बाहर घसीटकर ले आयी और उन्हें पीट-पीटकर मार (लिंचिंग) डाला था। बिसाहड़ा में घटी इस घटना में अफ़वाह थी कि अख़लाक ने गाय को मारकर उसका मांस अपने घर में रखा है। जब पुलिस घटनास्थल पर पहुँची, तब भी भीड़ उन्हें पीट रही थी। इस घटना के बाद तनाव के चलते अख़लाक के परिवार को गाँव छोड़कर जाना पड़ा था।
#WATCH: One of the accused in September 2015 Mohd Akhlaq lynching case, Vishal Singh (bearded man in white shirt), was seen in a BJP rally in Bisada village yesterday. The rally was addressed by CM Yogi Adityanath. (31.03.2019) pic.twitter.com/QViy7LoUWV
— ANI UP (@ANINewsUP) April 1, 2019
रैली को जब संबोधित कर रहे थे तो योगी ने भी संकेतों में उस घटना का ज़िक्र किया। योगी ने कहा, 'कौन नहीं जानता बिसाहड़ा में क्या हुआ? सबको पता है।' ‘कितने शर्म की बात है कि समाजवादी सरकार ने तब भावनाओं को दबाने की कोशिश की और मैं कह सकता हूँ कि हमारी सरकार बनते ही हमने अवैध बूचड़खानों को बंद कराया।’ योगी ने पिछली सरकारों पर जाति के आधार पर लोगों को बाँटने और ‘तुष्टिकरण की राजनीति' करने का आरोप लगाया।
बता दें कि ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि अख़लाक की हत्या के आरोपियों को बचाने की कोशिश की गयी। फ़ास्ट-ट्रैक कोर्ट बनने के बावजूद ट्रायल में देरी हुई।
क्या अख़लाक़ के परिजनों को न्याय मिला?
अख़लाक़ की हत्या के मामले में दिसंबर 2015 में चार्जशीट दाखिल होने के बाद इसकी सुनवाई फ़ास्ट-ट्रैक कोर्ट में अप्रैल 2016 में शुरू हुई। आरोपियों पर हत्या के प्रयास, दंगा फैलाने, क्षेत्र की शांति भंग करने जैसे केस में एफ़आईआर दर्ज की गयी थी। 2016 में सूरजपुर कोर्ट ने अख़लाक के परिवार वालों के ख़िलाफ़ अवैध गो-हत्या का केस दर्ज करने का आदेश दिया था। इस मामले की जाँच अभी भी चल रही है।
यूपी के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने रिपोर्ट दी थी कि अख़लाक़ के घर से लिए गये मांस के नमूने में 'बकरी के बच्चे' का मांस होने की पुष्टि हुई है, न कि गोमांस होने की।
अभी भी उनके ख़िलाफ़ आरोप तय होना बाक़ी है और सभी 19 आरोपी जमानत पर हैं। अख़लाक़ के परिजनों ने फ़ास्ट कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया पर सवाल उठाये हैं। 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, 'इतने साल हो गये लेकिन तारीख़ पर तारीख़ मिल रही है। हम ग्रेटर नोएडा कोर्ट जाते हैं, लेकिन अभी भी हमें ट्रायल शुरू होने का इंतज़ार है। फ़ास्ट-ट्रैक कोर्ट का एक मक़सद था, लेकिन इसका उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। आरोपी बिना किसी डर के खुले घुम रहे हैं।'
लिंचिंग के दोषी को मंत्री ने पहनायी थी माला
इससे मिलती जुलती एक घटना जुलाई 2018 में झारखंड में हुई थी। बीफ़ ले जाने के शक में मारे गए युवक (अलीमुद्दीन) की हत्या के 8 दोषियों को झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया था। हालाँकि विवाद बढ़ने पर उन्होंने बाद में खेद जताया था। तब दोषी की जमानत पर बीजेपी ज़िला कार्यालय में मिठाई बाँटी गई थी।
इन दोषियों की रिहाई के लिए लगातार आंदोलन करने वाले पूर्व विधायक शंकर चौधरी ने बीजेपी कार्यालय पर ही प्रेस कॉन्फ्रेंस की और जमानत मिलने पर खुशी का इज़हार किया था।
इसको लेकर यशवंत सिन्हा पर भी निशाना साधा गया तो उन्होंने ट्विटर पर अपने बेटे को नालायक तक कह दिया था।
यशवंत सिन्हा ने लिखा था, 'कुछ दिन पहले तक मैं लायक बेटे का नालायक बाप था, लेकिन अब रोल उलट गया है। यही ट्विटर है। मैं अपने बेटे के कृत्य का समर्थन नहीं करता। लेकिन जानता हूँ कि इसके बाद भी गालियाँ पड़ेंगीं। तुम कभी जीत ही नहीं सकते।'
क्या था पूरा मामला
29 जून 2017 को झारखंड के रामगढ़ में भीड़ ने मीट व्यापारी अलीमुद्दीन अंसारी की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। अलीमुद्दीन अपनी वैन से मांस लेकर आ रहा था। वैन में बीफ होने के शक में कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया था। उन लोगों ने पहले उसकी गाड़ी को आग लगाई और फिर अलीमुद्दीन को बेरहमी से मार डाला था। इस हत्याकांड में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है।
अपनी राय बतायें