लखीमपुर खीरी हिंसा के वक़्त केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा और उसके क़रीबी के लाइसेंसी हथियार से फ़ायरिंग हुई थी। एफ़एसएल जाँच में इसकी पुष्टि हुई है। फ़िलहाल दोनों आरोपी जेल में बंद हैं। ताज़ा रिपोर्ट से घटना में आशीष मिश्रा के शामिल होने के आरोप और ज़्यादा पुष्ट होते हैं। अजय मिश्रा अब तक दावे करते रहे हैं कि उनका बेटा घटना के वक़्त मौजूद नहीं था, हालाँकि उन्होंने यह ज़रूर माना है कि उनकी गाड़ी वहां मौजूद थी। मंत्री ने दावा किया था कि उनकी गाड़ी पर हमला होने की वजह से नियंत्रण खो गया था और इस वजह से गाड़ी से किसान कुचले गए। जबकि साफ़-साफ़ वीडियो सामने आ गए हैं जिसमें दिख रहा है कि शांतिपूर्ण लौट रहे किसानों को पीछे से तीन गाड़ियों का काफिला काफ़ी तेज़ी से रौंदते हुए निकल जाता है। प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया था कि किसानों को कुचलने वाली गाड़ी में आशीष मिश्रा था और उनपर मंत्री के बेटे ने गोलियाँ भी चलाई थीं।
लखीमपुर हिंसा मामले में ताज़ा रिपोर्ट से केंद्रीय मंत्री के बेटे की मुश्किलें और बढ़ेंगी। एक रिपोर्ट के अनुसार फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में फायरिंग की पुष्टि हुई है। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, आशीष मिश्रा और उसके क़रीबी अंकित दास के लाइसेंसी हथियार की बैलेस्टिक रिपोर्ट में फायरिंग की पुष्टि हुई है। किसानों द्वारा फायरिंग का मामला उठाए जाने पर इसकी जांच के लिए लखीमपुर पुलिस ने अंकित दास की रिपीटर गन, पिस्टल और आशीष मिश्रा की राइफल और रिवॉल्वर को जब्त किया था। चारों हथियारों की एफएसएल रिपोर्ट में फायरिंग की बात सामने आई है। अभी तक यह साफ़ नहीं है कि किन-किन हथियार से गोलियाँ चलाई गईं।
लखीमपुर खीरी में हिंसा का यह वह मामला है जिसमें 3 अक्टूबर को 4 किसानों सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी। 4 किसानों और एक पत्रकार की मौत कुचलने से हुई थी जबकि तीन लोग बाद की हिंसा में मारे गए थे। आरोप है कि तीन गाड़ियों के एक काफिले ने प्रदर्शन करने वाले किसानों को रौंद दिया था। इसमें अजय मिश्रा की एक महिंद्रा थार भी शामिल थी। आरोप सीधे तौर पर मंत्री के बेटे आशीष पर लगा कि उसने कथित तौर पर गाड़ी चढ़ाई।
केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने कहा था कि जिस थार गाड़ी ने किसानों को कुचला है, वह उनकी ही है और उनके नाम पर रजिस्टर्ड है। हालांकि उन्होंने बार-बार कहा कि उनका बेटा आशीष मिश्रा घटना के दौरान थार गाड़ी में नहीं था।
उन्होंने अपने बेटे का खुलकर बचाव करते हुए कहा कि उनका बेटा आशीष मिश्रा सुबह 11 बजे से शाम तक कार्यक्रम स्थल पर था, इसके फ़ोटो और वीडियो भी उपलब्ध हैं।
केंद्रीय मंत्री के इन दावों के बाद कई लोगों ने यह दावा किया कि हिंसा वाली जगह कार्यक्रम स्थल के पास ही थी और वह इस बीच हिंसा के वक़्त वह मौक़े पर थे। कई किसानों ने कहा था कि उन्होंने आशीष मिश्रा को किसानों को रौंदने वाली गाड़ी में देखा था। कुछ किसानों ने तो यह भी आरोप लगाया था कि फायरिंग की गई थी। हालाँकि बाद में जब ऑटोप्सी रिपोर्ट आई तो उसमें किसी को भी गोली लगने की बात नहीं कही गई। ऑटोप्सी रिपोर्ट में कहा गया था कि उनकी मौत सदमे से और ज़्यादा ख़ून बहने के कारण हुई है। इसमें यह भी कहा गया था कि गोली लगने का निशान नहीं मिला है।
वैसे, इस मामले में पुलिस जाँच पर शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं। एक दिन पहले ही यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सख़्त टिप्पणी की है और कहा है कि 'इस तरह सुबूत जुटाए जा रहे हैं कि एक अभियुक्त को बचाया जा सके।' सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सुझाव दिया कि हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को लखीमपुर खीरी के मामले में चल रही जांच की निगरानी करनी चाहिए। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह शुक्रवार तक इस मामले में जवाब दे।
अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा था कि अभी तक सिर्फ़ 23 गवाहों से ही पूछताछ क्यों की गई है। अदालत ने सरकार को आदेश दिया था कि वह और गवाहों को खोजे और उन्हें सुरक्षा भी दे। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश पुलिस बिना मन के काम कर रही है और वह कार्रवाई नहीं करना चाहती।
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