हाथरस में सामूहिक बलात्कार के बाद मारी गई दलित युवती की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है। इसमें यह साफ लिखा है कि उसकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर था और उसका गला भी दबाया गया। यह रिपोर्ट दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल द्वारा तैयार की गई है। यहीं पीड़िता ने दम तोड़ा था।
पीड़िता के परिजनों की ओर से लगातार यह आरोप लगाया जा रहा है कि उनकी बेटी को अभियुक्तों द्वारा जमकर पीटा गया, उसकी गर्दन तोड़ी गयी, कमर की हड्डी में भी चोट थी। इस बात को पीड़िता का इलाज करने वाले डॉक्टर्स ने भी स्वीकार किया था। लेकिन उत्तर प्रदेश की पुलिस इसे मानने के लिए तैयार नहीं है। पुलिस का कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट में लड़की के साथ दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है।
बुरी तरह से पिटाई के बाद लकवाग्रस्त हो चुकी पीड़िता के शरीर पर आई गंभीर चोटों का भी जिक्र सरकारी मेडिकल रिपोर्ट में नहीं किया गया है। बल्कि महज दुपट्टे से गला कसने का जिक्र किया गया है।
अब आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट कहती है कि पीड़िता की गर्दन पर चोट के निशान हैं और कई बार उसका गला घोटने की कोशिश की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी वजह से मौत नहीं हुई है। आगे कहा गया है कि विसरा रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा कि मौत का असली कारण क्या था। अस्पताल की ओर से कहा गया है कि पीड़िता का विसरा सुरक्षित रख लिया गया है और कई अन्य अहम चीजें भी जांच अफ़सर को दे दी गई हैं। इस रिपोर्ट में बलात्कार का जिक्र नहीं किया गया है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से यह साफ होता है कि वास्तव में अभियुक्तों ने पीड़िता के साथ हैवानियत करने की कोशिश की और उसने ख़ुद को बचाने के लिए संघर्ष किया। इसी दौरान उसके गले में और रीढ़ की हड्डी में भी चोट आई। इससे सवाल खड़ा होता है कि योगी सरकार की पुलिस ने इतनी अहम बातों को छिपाते हुए क्या झूठी रिपोर्ट तैयार कर दी?
पीड़िता के साथ यह घटना तब हुई थी, जब वह खेत में काम करने गई थी। परिजनों ने कहा था कि वह घायल अवस्था में मिली थी, उसके शरीर में कई जगह फ़्रैक्चर थे और जीभ कटी हुई थी।
सिरे से नकार दिया बलात्कार को
जबकि पुलिस की ओर से उपलब्ध करायी गयी मेडिकल रिपोर्ट में और खुद आईजी जोन के बयान में बलात्कार को सिरे से नकार दिया गया है। आईजी जोन ने कहा है कि मृतका के साथ मारपीट हुई थी और पहले उन्ही धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया था। उनका कहना है कि बाद में मृतका ने छेड़खानी की बात कही तो धाराएं बढ़ायी गयीं। आईजी के मुताबिक़, घटना के कई दिनों के बाद मृतका ने चार लोगों द्वारा बलात्कार करने की बात कही जिसके बाद इन धाराओं को लगाया गया।‘रात में ही पीड़िता का शव जलाया’
पीड़िता की मौत के बाद पुलिस पीड़िता के शव को लेकर मंगलवार रात को ही हाथरस पहुंच गयी और देर रात ढाई बजे बिना घरवालों की मौजूदगी के अंतिम संस्कार कर डाला। दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल के गेट पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर के साथ शव के लिए धरना दे रहे पीड़िता के घरवालों को पता भी नहीं चला और शव को पुलिस ने हाथरस पहुंचाकर जला दिया। पीड़िता के परिजनों ने बुधवार सुबह आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ बर्बरता की और अंतिम बार बेटी का चेहरा तक नहीं देखने दिया।
अपनी राय बतायें