उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के ख़िलाफ़ बीजेपी के ही विधायक और सांसद लगातार मोर्चा खोल रहे हैं। हरदोई सुरक्षित सीट से बीजेपी के टिकट पर सांसद बने जय प्रकाश रावत ने फ़ेसबुक पोस्ट लिखकर सरकार से तो अपनी नाराज़गी का इजहार किया ही है, योगी सरकार को संकेतों में चेताया भी है कि वह जनप्रतिनिधियों की दिक्कतों को समझे। क्योंकि सांसद ने कहा है कि तीस साल के कार्यकाल में उन्होंने कभी ऐसी बेबसी महसूस नहीं की।
सांसद का यह दर्द तब जुबां पर आया जब हरदोई से ही बीजेपी के नेता प्रियम मिश्रा ने एक फ़ेसबुक पोस्ट लिखकर एक मुद्दा उठाया। मिश्रा ने लिखा, ‘कोरोना के दौरान माननीय सांसद और माननीय विधायक लोगों ने जो अपनी निधि का पैसा दिया था, उससे अगर हरदोई जिला अस्पताल में एक वेंटिलेटर मशीन लग जाए तो लोगों को कोरोना के बाद भी बहुत राहत मिलेगी।’
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इस पर कई लोगों के कमेंट के बाद सांसद की ओर से भी कमेंट किया गया। लेकिन सांसद का कमेंट आते ही खलबली मच गयी। सांसद ने लिखा, ‘मैंने अपनी निधि इसी शर्त पर दी थी कि वेंटिलेटर ख़रीदा जाए लेकिन ऐसा हुआ नहीं। निधि कहां गयी, पता नहीं।’
सांसद के इस कमेंट पर कुछ और लोगों ने कमेंट कर कहा कि कोई भी अधिकारी जनप्रतिनिधियों से ऊपर नहीं है, हम सब लोग आपके साथ हैं। इस कमेंट को पढ़ने के बाद शायद सांसद ने राज्य की योगी सरकार को निशाने पर लिया क्योंकि उनके अगले कमेंट से ऐसा ही लगता है।
सांसद ने लिखा, ‘जब ऊपर से यह निर्देश होगा कि अधिकारी अपने विवेक से काम करें तो हमको कौन सुनेगा। हमने अपने तीस वर्षों के कार्यकाल में ऐसी बेबसी कभी महसूस नहीं की।’
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प्रियम मिश्रा की इसी फ़ेसबुक पोस्ट पर हरदोई की गोपामऊ सीट से बीजेपी विधायक और पहले भी कई बार नाराज़गी जता चुके श्याम प्रकाश का कमेंट आया और उन्होंने लिखा कि सब कमीशन खोरी की भेंट चढ़ गया।
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ये वही विधायक श्याम प्रकाश हैं जिन्होंने कुछ दिन पहले फ़ेसबुक पर लिखा था, ‘मैंने अपने राजनीतिक जीवन में इतना भ्रष्टाचार नहीं देखा, जितना इस समय सुन और देख रहा हूं। जिससे शिकायत करो, वह खुद वसूली कर लेता है।’
विधायक की यह पोस्ट तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। लोगों ने योगी सरकार से पूछा था कि क्या अब वह अपनी पार्टी के विधायक की बात से भी इनकार करेंगे। हालांकि बवाल बढ़ने पर विधायक ने इस पोस्ट को तुरंत डिलीट भी कर दिया था।
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पहले भी उठाया था भ्रष्टाचार का मुद्दा
श्याम प्रकाश ने इससे पहले भी इस साल अप्रैल में भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट ख़रीदने के लिए विधायक निधि से दिए गए पैसे में भ्रष्टाचार की बात कही थी। तब उन्होंने दावा किया था कि हरदोई हॉस्पिटल के अधिकारियों ने उनसे घूस मांगी थी। हालांकि बाद में डीएम के साथ बैठक के बाद उन्होंने अपनी शिकायत वापस ले ली थी।
फ़ेसबुक पर इस बातचीत के दौरान सर्वेश मिश्रा नाम के यूजर सवाल उठाते हैं कि नेताशाही पर अफसरशाही भारी, नेता कमजोर या अफसर मजबूत? परवेज़ हुसैन ख़ान कहते हैं कि जब सांसद जी और विधायक जी की नहीं सुनी जा रही तो आम जनता की क्या बिसात..वाक़ई सब गोलमाल चल रहा है।
अजय गुप्ता नाम के शख़्स कहते हैं, ‘अगर भईया आप बेबस हो जाएंगे तो हम जैसे आपके कार्यकर्ता का क्या होगा, ये सरकारी बाबू तो हमारा खून पी जायेंगे।’
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सांसद और विधायक के इस तरह मुखर होने को उनके स्वाभिमान की लड़ाई भी कहा जा सकता है क्योंकि जब इतने अहम पदों पर होने के बाद अफ़सर उनकी ही नहीं सुनेंगे तो वे जनता और आम कार्यकर्ताओं के काम कैसे करा पाएंगे।
विधायक ने उड़ाया था मजाक
कुछ महीने पहले ही सीतापुर से बीजेपी विधायक राकेश राठौर का एक कथित ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने ताली और थाली बजाने का विरोध किया था। इसे लेकर बीजेपी की ओर से उन्हें नोटिस भी जारी किया गया था। इस ऑडियो ने भी उत्तर प्रदेश की सियासत में ख़ूब धूम मचाई थी।इस साल मई महीने में बहराइच जिले के बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह ने भी अधिकारियों को फटकारते हुए पूरे जिले को लूट का अड्डा बना देने का आरोप लगाया था। विधायक ने कहा था कि राशन किटों में घोटाला हो रहा है।
‘कोरोना के नाम पर लूट-खसोट’
विधायक सुरेश्वर सिंह ने कहा था कि पुलिस दुकान का शटर उठा देने के नाम पर हजारों रुपये की वसूली कर रही है और कोरोना के नाम पर जमकर लूट-खसोट हो रही है। बहराइच जिले के कई पुलिस थानों का नाम लेते हुए विधायक ने कहा था कि ये लूट के अड्डे बन गए हैं। इस दौरान विधायक रात को औचक निरीक्षण पर निकले थे।यूपी बीजेपी में वर्चस्व की जंग?
क्या उत्तर प्रदेश में बीजेपी के अंदर वर्चस्व की जंग चल रही है क्योंकि कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य नाराज हैं क्योंकि उनके समर्थकों के मुताबिक़ विधानसभा चुनाव के दौरान यह वादा किया गया था कि सत्ता में आने पर मौर्य को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। और मौर्य चूंकि प्रदेश अध्यक्ष भी थे, इसलिए उनकी दावेदारी ज़्यादा मजबूत थी।
धरने पर बैठे थे विधायक
पिछले साल दिसंबर में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक तब खलबली मच गई थी जब सत्तारूढ़ दल के लगभग 100 विधायक विधानसभा में अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ धरने पर बैठ गए थे। सत्तापक्ष के विधायकों ने जमकर नारेबाजी की थी और विपक्षी दलों के विधायकों ने भी उनका साथ दिया था और अफ़सरों पर बेलगाम होने का आरोप लगाया था।
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