34 यात्रियों से भरी प्राइवेट बस को देर रात आगरा से अपहृत करके अज्ञात स्थान पर रखने और 15 घंटे बाद अपहरणकर्ताओं द्वारा इटावा के एक ढाबे के सामने छोड़ कर चले जाने की कहानी लोगों के गले नहीं उतर रही है। आगरा पुलिस की शुरुआती ब्रीफ़िंग में बताया गया था कि किस्तें जमा न करने की एवज़ में बस को फ़ाइनेंस करने वाली संबद्ध कंपनी ने ज़ब्त कर लिया था लेकिन 'कंपनी' का कहना है कि उनका एकाउंट 2 साल पहले ही 'सेटल' हो गया था।
यूपी में यात्रियों से भरी बस का अपहरण, 15 घंटे ग़ायब, अब पुलिस की लीपापोती
- उत्तर प्रदेश
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- 19 Aug, 2020

यात्रियों से भरी बस का इस प्रकार का अपहरण बड़ी ही दिल दहला देने वाली घटना है, चाहे उसके अपहर्ता पेशेवर अपराधी हों या लोन देने वाले सीज़र के लोग। इसमें कोई शक नहीं कि 15 घंटे तक मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर गृह मंत्रालय के बीच चली उठापटक और कई ज़िलों की पुलिस की भागदौड़ के बाद अपहर्ता अंततः बस को छोड़ कर चले गए।
अब यूपी पुलिस की नई कहानी में किसी 'सीज़र' कंपनी की बात सामने आ रही है। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बताया कि बस की बरामदगी को झाँसी में बताया जबकि एसएसपी आगरा बबलू कुमार के मुताबिक़ बस इटावा ज़िले में मिली है। उधर अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी में बताया जा रहा है कि यह एक आपराधिक कार्रवाई थी और चारों तरफ़ से घेराबंदी होने के बाद अपहर्ताओं ने बस को छोड़ दिया, अब पुलिस अपराध की इस घटना पर लीपापोती कर रही है। बहरहाल, अपहर्ता कोई भी हो, सवाल यह उठता है कि अगर यात्रियों से भरी किसी बस को आधी रात हाइवे से इस प्रकार अपहृत करना मुमकिन है तो योगी सरकार के 'अपराध मुक्त यूपी' के दावे का क्या?