आम आदमी पार्टी (आप) ने एलान किया है कि वह उत्तर प्रदेश की सभी 403 सीटों पर अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी के प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने यह एलान करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से पूरी ताक़त के साथ चुनावी तैयारियों में जुटने का आह्वान किया। उत्तर प्रदेश में छह महीने के अंदर विधानसभा के चुनाव होने हैं।
अभी तक इस बात की अटकलें थीं कि आम आदमी पार्टी पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर की अगुवाई वाले भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल होकर चुनाव लड़ सकती है।
संजय सिंह की इसे लेकर राजभर से मुलाक़ात भी हुई थी। लेकिन शायद दोनों नेताओं के बीच बातचीत परवान नहीं चढ़ सकी और चुनाव में कम समय रहते देख पार्टी ने अकेले चुनाव मैदान में उतरने का एलान कर दिया।
तिरंगा संकल्प यात्रा
आप प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों में तिरंगा संकल्प यात्रा भी निकाल रही है। संजय सिंह ने कहा कि आप की सरकार बनने पर दिल्ली की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी बच्चों को बेहतर स्कूल मिलेंगे, मोहल्ला क्लीनिक बनेंगे और 300 यूनिट बिजली मुफ़्त मिलेगी।
उन्होंने कहा कि पार्टी ने सदस्यता अभियान चलाकर 1 करोड़ नए सदस्य बनाए हैं। आप का आरोप है कि संजय सिंह की सक्रियता को देखते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ कई मुक़दमे दर्ज कर दिए हैं।
सियासी उड़ान चाहती है आप
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली आप अब राजधानी से बाहर निकलना चाहती है। पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल एलान कर चुके हैं कि आने वाले दो साल में उनकी पार्टी 6 राज्यों में विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, गुजरात और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं।
पिछली बार गोवा, गुजरात में पार्टी का अनुभव बेहद ख़राब रहा था। हालांकि पंजाब में उसने 22 सीटों पर जीत हासिल कर शिरोमणि अकाली दल को पीछे छोड़ दिया था और मुख्य विपक्षी पार्टी बनी थी। इस बार भी उसका खासा जोर पंजाब, उत्तराखंड सहित बाक़ी राज्यों पर है और पार्टी के बड़े नेता लगातार इन राज्यों का दौरा कर रहे हैं।
कमाल कर पाएगी?
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश में अकेले दम पर विधानसभा का चुनाव लड़ना आसान काम नहीं है। लेकिन पिछले डेढ़-दो साल में आप यहां काफी सक्रिय रही है। दिल्ली मॉडल का उसने ख़ूब प्रचार किया है और संजय सिंह योगी सरकार पर भी खासे हमलावर रहे हैं। देखना होगा कि उत्तर प्रदेश की जनता अन्ना आंदोलन से निकली इस पार्टी पर कितना भरोसा करती है।
सियासी विस्तार की पहली कोशिश में फ़ेल साबित हुई आप इस बार क्या कमाल करेगी, इस पर राजनीतिक विश्लेषकों की पैनी निगाह लगी हुई है।
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