loader

इसलामिक स्टेट खुरासान के 25 आतंकवादियों पर है भारत की नज़र

भारत में इसलामिक स्टेट खुरासान के ख़तरे और इसलामी ख़िलाफ़त कायम करने के प्रति कुछ भारतीय युवाओं के रुझान से इनकार नहीं किया जा सकता है।

 इसे इससे समझा जा सकता है अफ़ग़ानिस्तान के ननगरहार में 25 ऐसे भारतीय युवकों का पता चला है जिन पर इसलामिक स्टेट खुरासान से जुड़े होने का आरोप लगा है और तालिबान प्रशासन जिनकी तलाश कर रहा है।

भारत इस पर चिंतित है और सुरक्षा व खुफ़िया एजंसियों ने इन 25 संदिग्धों की तलाश शुरू कर दी है। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और दूसरे आधुनिक उपायों से उनका ठिकाना पता लगाने और उन पर नज़र रखने की कोशिशें की जा रही हैं। 

ख़ास ख़बरें

एनआईए की नज़र

रिपोर्टों के मुताबिक़, राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी यानी एनआईए ने एक आदमी का पता लगा लिया है। मुन्सिब नामक यह शख़्स सोशल मीडिया पर सक्रिय है और वह ऑनलाइन के ज़रिए भारतीय युवकों तक पहुँचने, उनका ब्रेन वॉश करने और उन्हें आईएस-के से जोड़ने के काम में लगा हुआ है। 

भारत के लिए चिंता की दूसरी बात यह है कि तालिबान ने एजाज़ अहनगर को जेल से रिहा कर दिया है। अहनगर भारतीय मूल का है और यहाँ की सुरक्षा एजेन्सियाँ आतंकवादी गतिविधियों में उसकी भूमिका की वजह से पहले से ही उसे खोज रही हैं।

भारत पर नज़र

समझा जाता है कि अहनगर भी भारत के ख़िलाफ़ साजिश कर रहा है और भारत से कुछ युवकों को जोड़ने की कोशिश में है।

भारतीय ख़ुफ़िया एजंसियों का कहना है कि आईएस-के की निगाह अब भारत पर है, वह भारत से युवकों को अपने से जोड़ कर उन्हें ख़िलाफ़त के लिए जान देने को तैयार करने की कोशिश में है। 

इसलामिक स्टेट खुरासान की नज़र अब तालिबान के उन लोगों पर भी है जो अमेरिका से  मिलीभगत कर अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता हथियाने से नाराज़ हैं। ये वे लोग हैं जो हर हाल में अफ़ग़ानिस्तान में इसलामी ख़िलाफ़त की स्थापना चाहते हैं और अब उन्हें लगने लगा है कि तालिबान ने समझौता कर लिया है। 

Islamic state-Khorasan members on NIA radar - Satya Hindi

पकड़े गए भारतीय

अरशद ग़नी की सरकार ने 2019 में अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादियों व इसलामी ख़िलाफ़त की बात करने वाले दूसरे आतंकवादियों के ख़िलाफ़ ज़ोरदार मुहिम चलाई थी। उसने जिन लोगों को पकड़ कर जेल में डाला, उनमें कई भारतीय थे।

ये वे भारतीय थे जो इसलामी ख़िलाफ़त के नाम पर बरगलाए गए थे और इराक़ व सीरिया चले गए थे। लेकिन जब इसलामिक स्टेट का अमीर बग़दादी मारा गया और वह संगठन वहाँ बिखर गया तो वे अफ़ग़ानिस्तान चले आए।

इनमें ज़्यादातर लोग इसलामिक स्टेट खुरासान से जुड़ गए। साल 2019 की कार्रवाई में इनमें से कई भारतीय युवक गिरफ़्तार हो गए।

उनके साथ लगभग 300 पाकिस्तानी, कुछ बांग्लादेशी व कुछ चीनी इसलामी आतंकवादी भी थे। 

Islamic state-Khorasan members on NIA radar - Satya Hindi

तालिबान ने किया रिहा

अगस्त में तालिबान के लड़ाके जैसे- जैसे शहरों पर नियंत्रण करते गए, वे जेल खोल कर सबको रिहा करते गए। नतीजा यह हुआ कि अफ़ग़ानिस्तान के अलग-अलग जेलों में बंद हज़ारों आतंकवादी बाहर आ गए।

हालांकि तालिबान का मक़सद उनके अपने लोगों को आज़ाद कराना ही था, पर उन्होंने बगैर किसी का काग़ज़ जाँचे, बग़ैर सोचे समझे जेल का फाटक खोल कर सबको आज़ाद कर दिया।

इनमें हज़ारों तालिबान लड़ाकों के साथ-साथ इसलामिक स्टेट खुरासान और दूसरे संगठनों के सैकड़ों आतंकवादी भी छूट गए।

चीनी, बांग्लादेश आतंकवादी भी

ये अपने- अपने देश के लिए ख़तरा बने हुए हैं। पश्चिम उत्तर चीन के शिनजियांग में उइगुर मुसलमानों के संगठन ईटीआईएम यानी ईस्ट तुर्कमेनिस्तान इंडीपेंडेस मूवमेंट के लोग इनमें शामिल हैं।

इनमें बांग्लादेश के आतंकवादी गुट हिज़्बे मुजाहिदीन बांग्लादेश के लोग भी हैं और इसलामिक स्टेट खुरासान के भी।

काबुल में तुर्कमेनिस्तान के दूतावास पर विस्फोट कराने की नाकाम कोशिश में 14 भारतीयों के नाम आए जो इसलामिक स्टेट खुरासान के हैं। ये लोग 2019 में पकड़े गए थे, जेल में थे और तालिबान के आने पर जब बगराम जेल से सभी छूट गए तो ये भी आज़ाद हो गए।

भारत की मदद करेगा तालिबान?

लेकिन अब एनआईए को उन 25 लोगों की तलाश है, जिन्हें खुद तालिबान प्रशासन ढूंढ रहा है।

लेकिन भारत के लिए आसान इसलिए नहीं है कि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि तालिबान उन्हें तलाश ले तो भारत को सौंप दे। 

तालिबान पर पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेन्सी आईएसआई का पूरा प्रभाव है, यह मुमकिन है कि तालिबान इन्हें आईएसआई को सौंप दे और आईएसआई उन्हें भारत के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करे।

इसलामिक स्टेट खुरासान के बारे में यह बात कही जाती है कि वह आईएसआई का खड़ा किया हुआ संगठन है। आईएसआई ने इसलामिक स्टेट के नाम पर उसे खड़ा किया है ताकि भारत के विरुद्ध आतंकवादी कार्रवाइयों में उसका नाम न आए। 

इसे इससे समझा जा सकता है कि हक्क़ानी नेटवर्क और क्वेटा शूरा आईएसआई के ही खड़े किए हुए संगठन हैं और अब वे अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में शामिल होने जा रहे हैं। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें