क्या लॉर्ड थॉमस बैबिंग्टन मैकॉले ने सचमुच भारत की कमर तोड़ने और इसे मानसिक रूप से ग़ुलाम बनाने के लिए इसकी बौद्धिक और सांस्कृतिक विरासत को नष्ट कर दिया? क्या इसी मक़सद से उन्होंने भारत पर अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था थोप दी? क्या कभी हमने सोचा है कि जिस व्यक्ति का हमने दानवीकरण कर दिया है, उसकी हक़ीक़त क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि झूठ और तथ्यों को ग़लत सन्दर्भ में रखा गया है?