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तेलंगाना कांग्रेस में बढ़ती गुटबाजी की वजह से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 13 नेताओं ने रविवार को इस्तीफ़ा दे दिया है। इन नेताओं में शामिल उत्तम कुमार ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेजे गए इस्तीफे के पत्र में कहा है कि राज्य की केसीआर सरकार तानाशाही कर रही है और इससे लड़ने के लिए संघर्ष करने की जरूरत है।
लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी में 50 फीसद से ज्यादा सदस्य ऐसे हैं जो हाल ही में टीडीपी से कांग्रेस में आए हैं और इससे ऐसे नेता निराश हैं जो कांग्रेस के लिए कई सालों से काम कर रहे हैं।
इस्तीफा देने वालों में विधायक दानासारी अनुसुइया और पूर्व विधायक वेम नरेंद्र रेड्डी भी शामिल हैं।
पीटीआई के मुताबिक, अविभाजित आंध्र प्रदेश में उप मुख्यमंत्री रहे दामोदर राजनरसिम्हा ने टीडीपी से कांग्रेस में आए कुछ नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं पर बाहर से आए लोगों को तरजीह दी जाएगी तो इससे क्या संदेश जाएगा। जब उन्होंने यह टिप्पणी की तो उनके साथ सीएलपी नेता मल्लू भट्टी विक्रमार्का, कांग्रेस सांसद एन. उत्तम कुमार रेड्डी, पूर्व सांसद मधु यशकी गौड़ और पार्टी विधायक टी. जयप्रकाश रेड्डी भी थे।
इन नेताओं की सीधी नाराजगी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद ए. रेवनाथ रेड्डी से थी। बताना होगा कि तेलंगाना में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं और एक वक्त में आंध्र प्रदेश में ताकतवर रही कांग्रेस अब इन दोनों राज्यों में अपने अस्तित्व की जंग लड़ रही है। हालांकि भारत जोड़ो यात्रा जिन दिनों तेलंगाना में थी तो तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कार्यकर्ताओं की अच्छी भीड़ जुटाई थी।
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रेवनाथ रेड्डी ने पार्टी में चल रही गुटबाजी का जवाब देने से बचते हुए कहा कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इन सारे मुद्दों को देखेगा। एआईसीसी के निर्देश के मुताबिक, प्रदेश कांग्रेस कमेटी को 26 जनवरी से गांव से लेकर पूरे राज्य स्तर तक की पदयात्रा करनी है लेकिन उससे ठीक पहले 13 नेताओं का प्रदेश कांग्रेस कमेटी को छोड़ना पार्टी के लिए झटका है।
प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली सरकार ने कांग्रेस के वार रूम से कुछ अहम जानकारियों को चुरा लिया है। पिछले हफ्ते हैदराबाद पुलिस ने तेलंगाना कांग्रेस के वार रूम पर छापा मारा था और पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया था।
इसके साथ ही तेलंगाना कांग्रेस के सांसद कोमाटीरेड्डी वेंकट रेड्डी के भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने की चर्चा है। वेंकट रेड्डी के बारे में बताया जाता है कि वह पिछले कुछ समय से पार्टी के कार्यक्रमों से पूरी तरह दूर हैं और विशेषकर मुनुगोडे विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के बाद से। इस सीट पर उनके छोटे भाई कोमाटीरेड्डी राजगोपाल रेड्डी ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी संसद में उनके चेंबर में मुलाकात की थी। इसके बाद उनके कांग्रेस छोड़ने की चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। हालांकि सांसद ने कहा कि वह अपने क्षेत्र के कुछ कामों को लेकर प्रधानमंत्री से मिले थे।
मुनुगोडे उपचुनाव में अपने भाई का समर्थन करने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें नोटिस भी जारी किया था और उन्होंने इस उपचुनाव में पार्टी के लिए प्रचार भी नहीं किया था। कांग्रेस की इस उपचुनाव में जमानत जब्त हो गई थी। वह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी यात्रा में शामिल नहीं हुए थे। इस साल अगस्त में उनके केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने की भी खबरें सामने आई थी।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में केसीआर की भारत राष्ट्र समिति ने 119 सदस्यों वाली विधानसभा में 88 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार बीजेपी वहां लगातार आधार बढ़ा रही है और इसे देखते हुए केसीआर भी अपनी चुनावी तैयारियों को तेज कर रहे हैं। केसीआर ने बाद में कांग्रेस के 12 विधायकों को तोड़ लिया था। इसके साथ ही टीडीपी के दो और एक निर्दलीय विधायक भी उनके साथ आ गए थे और वर्तमान में केसीआर के पास 104 विधायक हैं।
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