महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि केंद्र सरकार के लोकपाल कानून की तर्ज पर राज्य में लोकायुक्त कानून बनाया जाएगा और मुख्यमंत्री और पूरी कैबिनेट इसके दायरे में आएगी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा का सत्र शुरू होने से पहले रविवार को यह बात कही।
इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले एक पैनल की सिफारिशों को महाराष्ट्र सरकार ने पूरी तरह स्वीकार कर लिया है।
साल 2019 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति की थी।
बताना होगा कि लोकपाल की नियुक्ति को लेकर अन्ना हजारे ने साल 2012 में दिल्ली के रामलीला मैदान में बड़ा आंदोलन किया था। अन्ना हजारे ने फरवरी 2019 में भी महाराष्ट्र में लोकपाल की नियुक्ति में देरी को लेकर प्रदर्शन किया था।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि हम सरकार को पूरी पारदर्शिता के साथ चलाएंगे और महाराष्ट्र को भ्रष्टाचार मुक्त करेंगे और इसीलिए हमने विधानसभा में लोकायुक्त कानून लाने का फैसला किया है।
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उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अन्ना हजारे महाराष्ट्र में लोकपाल एक्ट को लागू करने की मांग कर रहे थे। हमने अन्ना हजारे के नेतृत्व में अपनी पिछली सरकार में एक कमेटी बनाई थी लेकिन महा विकास आघाडी सरकार के दौरान उस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया, अब जब हम फिर से सत्ता में लौटे हैं तो हमने इसकी प्रक्रिया को तेज किया है।
लोकायुक्त की टीम में 5 सदस्य शामिल होंगे। फडणवीस ने कहा कि लोकायुक्त हाई कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस या सुप्रीम कोर्ट के जज होंगे। इसके अलावा हाई कोर्ट के दो जज भी इसमें शामिल होंगे।
लोकायुक्त क्या है?
लोकायुक्त सर्वोच्च पद पर बैठा अधिकारी है जिसका काम राज्य सरकार और प्रशासन के खिलाफ लोगों द्वारा की जाने वाली शिकायतों को देखना है। राज्य की विधानसभा से इस संबंध में विधेयक के पास होने के बाद राज्यपाल लोकायुक्त की नियुक्ति करेंगे। राज्यपाल मुंबई हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता से विचार विमर्श करने के बाद लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर फैसला करेंगे।
लोकायुक्त से जुड़े विधेयक पारित करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य था। देखना होगा कि क्या लोकायुक्त कानून बनने से भ्रष्टाचार पूरी तरह समाप्त हो जाएगा और लोगों के द्वारा की जाने वाली शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई होगी।
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