तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बाजी मार सकती है। यह दावा लोक पोल की ओर से किए गये एक चुनावी सर्वे में किया गया है। इस सर्वे में कहा गया है कि आगामी चुनाव में कांग्रेस की सरकार तेलंगाना में बनने की संभावना है।
गुरुवार को जारी यह सर्वे कहता है कि विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के साथ कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सकती है।
लोक पोल के इस सर्वे में भविष्यवाणी की गई है कि 119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को 61-67 सीटें मिलने का अनुमान है। जबकि वर्तमान में सरकार चला रही बीआरएस को 45-51 सीटें मिल सकती हैं।
असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को 6-8 सीटें मिलने की संभावना है। वहीं भाजपा को इस दक्षिणी राज्य में मात्र 2 से 3 सीट मिलने की संभावना जताई गई है।
यह स्थिति तब है जब भाजपा राज्य में बड़ी जीत के दावे करती रही है। इसके साथ ही किसी अन्य छोटे दल के खाते में भी एक सीट आ सकती है।
बात अगर वोट शेयर की करें तो बीआरएस को 39 से 42 प्रतिशत वोट मिलने, कांग्रेस को 41 से 44 प्रतिशत वोट मिलने, एआईएमआईएम को 3 से 4 प्रतिशत और भाजपा को 10 से 12 प्रतिशत वोट और अन्य को 3 से 5 प्रतिशत वोट शेयर मिलने की संभावना इस सर्वे में जताई गई है।
सर्वे में वोट शेयर के अनुमान को देखे तो कहा जा सकता है कि भले ही भाजपा को कम सीटों पर जीते लेकिन वोट शेयर अभी भी 10 प्रतिशत से अधिक रह सकता है।
वहीं जिन दो दल कांग्रेस और बीआरएस में मुख्य मुकाबला होने की बात कही जा रही है उसमें वोट शेयर का अंतर बहुत मामूली हो सकता है। इस तरह से देखे तो कई सीटों पर दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
इस सर्वे को करने वाले लोक पोल का कहना है कि सर्वे के लिए तेलंगाना की 119 विधानसभाओं में से प्रत्येक से 500 से अधिक सैंपल एकत्र किए गए थे। 10 अगस्त से 30 सितंबर तक करीब 60,000 सैंपल एकत्र किए गए। इन सैंपलों प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर यह सर्वे रिपोर्ट बनाई गई है।
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नवंबर महीने में हो सकता है विधानसभा चुनाव
तेलांगाना में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के साथ चुनाव कराया जा सकता है। माना जा रहा है कि इन चार राज्यों में नवंबर महीने में चुनाव करवाए जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तेलंगाना में कुल 3.17 करोड़ मतदाता (3,17,17,389) हैं।एक प्रेस कांफ्रेस में भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा है कि 3.17 करोड़ मतदाताओं में से, पुरुष और महिला मतदाता लगभग बराबर है। दोनों ही करीब 1.58 करोड़ हैं। इस बार 2557 ट्रांसजेंडरों को भी बतौर मतदाता पंजीकृत किया गया है।
दूसरी तरफ सूत्रों के मुताबिक संभावना जताई जा रही है कि अगले सप्ताह चुनाव आयोग चुनावों की घोषणा कर सकता है। चुनाव की घोषणा के साथ ही चुनावी राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है।
आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा लगातार चुनावी राज्यों में जनसंपर्क से जुड़ी गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। भाजपा आगामी चार राज्यों के चुनाव में अपना मुख्य ध्यान राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगा रही है।
उसे इस बात का बखूबी अंदाजा है कि तेलंगाना में उसका जमीनी आधार काफी कमजोर है इसलिए उसे वहां कोई बड़ी सफलता नहीं मिलने वाली है। ऐसे में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व तेलंगाना पर अन्य तीन राज्यों की तुलना में कम ध्यान दे रहा है।
मेडक और निज़ामाबाद में कायम रहेगा बीआरएस का प्रभुत्व
लोक पोल की ओर से तेलंगाना में चुनाव पूर्व कराए गये इस सर्वे के मुताबिक वर्तमान में सत्ताधारी बीआरएस मेडक और निजामाबाद संसदीय क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बरकरार रखने में कामयाब रहेगी। इन दो संसदीय क्षेत्र में आने वाली ज्यादातर विधानसभा सीटों पर बीआरएस का कब्जा हो सकता है।वहीं अन्य संसदीय क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों पर बीआरएस का प्रदर्शन पहले से खराब होने की संभावना जताई गई है।
इस सर्वे में कहा गया है कि कांग्रेस ने बीआरएस के प्रभुत्व को चुनौती देते हुए अल्पसंख्यक समुदायों और पिछड़े वर्गों में अपनी पैठ बनाई है। पिछड़े वर्ग में आने वाला और संख्यात्मक रूप से महत्वपूर्ण माना जाने वाला मुन्नुरू कापू समुदाय भी कांग्रेस की ओर बढ़ रहा है।
कांग्रेस खम्मम, महबुबाबाद, नलगोंडा, वारंगल और जहीराबाद संसदीय क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। साथ ही पार्टी आदिवासी बहुल पूर्वी हिस्से में बड़ी जीत दर्ज कर सकती है।
इस सर्वे में कहा गया है कि तेलंगाना में 2019 लोकसभा चुनाव के बाद से भाजपा का वोट शेयर और सीट शेयर तेजी से गिर रहा है।
भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद तेलंगाना के उत्तरी हिस्से में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में उभरी थी। उसने यहां की 4 लोकसभा सीटों में से 3 पर जीत हासिल की थी लेकिन अब पार्टी इस क्षेत्र में भी अपना प्रभाव खोती जा रही है।
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इस कारण राज्य में मजबूत हो रही कांग्रेस
चुनाव पूर्व हुए इस सर्वे में कहा गया है कि तेलांगाना में बेरोजगारी युवाओं के बीच एक बड़ा मुद्दा बन गई है। राज्य सरकार नौकरियां और रोजगार के अन्य अवसर देने में विफल रही है जिससे युवाओं में गुस्सा पैदा हो गया है।सिंचाई और नियमित बिजली आपूर्ति से संबंधित अधूरे वादों के कारण राज्य भर के किसान आंदोलित हैं। इन सबके कारण राज्य में कांग्रेस मजबूत हो रही है।इस सर्वे में कहा गया है कि अल्पसंख्यक कांग्रेस के समर्थन में एकजुट हो रहे हैं। कांग्रेस अपने पारंपरिक एससी और एसटी वोट बैंक को भी मजबूत कर रही है। वहीं पिछड़े वर्गों के प्रति बीआरएस की लापरवाही बीआरएस के लिए हानिकारक साबित हो रही है। कांग्रेस फिर से पिछड़ों के बीच महत्वपूर्ण पैठ बना रही है। इन सब कारणों से कांग्रेस बीआरएस को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर कर सकती है।
बीआरएस को सत्ता विरोधी लहर का करना पड़ रहा सामना
तेलंगाना को लेकर सामने आए इस चुनाव पूर्व सर्वे मेंं कहा गया है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीआरएस के बीच स्पष्ट रूप से दो ध्रुवीय मुकाबला बन गया है। कांग्रेस बीआरएस की तुलना में मामूली वोट शेयर बढ़त के साथ आधे का आंकड़ा पार कर रही है।इस सर्वे में कहा गया है कि अधूरे वादों, विधायकों और स्थानीय नेताओं के खिलाफ गुस्से ने सत्तारूढ़ दल के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को काफी बढ़ा दिया है।
यह सत्ता विरोधी लहर सिर्फ बीआरएस विधायकों और नेताओं के खिलाफ नहीं है, सीएम केसीआर को भी समाज के सभी वर्गों से सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है।
इसमें कहा गया है कि भाजपा चुनावी दौड़ से पूरी तरह बाहर हो गई है क्योंकि ज़मीन पर कोई भी भगवा पार्टी को राज्य में गंभीर दावेदार नहीं मान रहा है। बीजेपी ने उत्तरी तेलंगाना के सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण वोट शेयर खो दिया है।
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