द्रमुक नेता और राज्यसभा सांसद टीकेएस एलंगोवन ने एक विवादित बयान में कहा है कि हिंदी तमिलों को 'शूद्र' बनाकर छोड़ेगी। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा थोपने से तमिलों को शूद्र का दर्जा मिल जाएगा। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि हिंदी उन राज्यों की भाषा है जिन्हें 'अभी भी विकसित राज्य' होना है। एलंगोवन ने यह भी कहा कि दक्षिणी राज्यों में हिंदी को थोपना 'मनु धर्म' के समान है।
डीएमके सांसद के विवादित बोल- हिंदी तमिलों को शूद्र बनाकर रहेगी
- तमिलनाडु
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- 6 Jun, 2022
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके के एक नेता ने ऐसा विवादित बयान दे दिया है जिससे फिर से हिंदी पर बहस शुरू हो सकती है। क्या हिंदी और ग़ैर हिंदी का विवाद फिर उठेगा?

एलंगोवन हिंदी थोपने के विरोध में आयोजित एक बैठक में बोल रहे थे। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'हिंदी हमारा कुछ नहीं करेगी। यह हमें फायदा नहीं देगी। पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल सहित विकसित राज्यों में हिंदी मातृभाषा नहीं है।' उन्होंने यह भी कहा, 'हिंदी भाषी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और नव निर्मित राज्य (झारखंड) अविकसित राज्य हैं। मैं हिंदी क्यों सीखूँ?'