केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दो दिन पहले ही कहा है कि तमिलनाडु में भी तमिल भाषा में मेडिकल की पढ़ाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए ताकि तमिल भाषा में स्कूली पढ़ाई पढ़ने वाले बच्चे भी बेहद आसानी से मेडिकल की पढ़ाई कर सकें, वे भी एमबीबीएस कर सकें। ये वही अमित शाह हैं जिन्होंने 7 अप्रैल को नई दिल्ली में संसदीय राजभाषा समिति की बैठक में कहा था कि सभी पूर्वोत्तर राज्य 10वीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने पर सहमत हो गए हैं। इसके साथ ही गृह मंत्री ने कहा था कि जब अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोग बात करें तो अंग्रेजी छोड़कर हिंदी में ही बात करें। बीजेपी भी लगातार हिंदी को अनिवार्य करने की बात कहती रही है।
शाह ने तमिलनाडु में मेडिकल की पढ़ाई तमिल में कराने को क्यों कहा?
- तमिलनाडु
- |
- 14 Nov, 2022
देश में संपर्क भाषा के रूप में हिंदी की पैरवी करने और हिंदी को अनिवार्य करने पर जोर देते रहने वाले गृह मंत्री अमित शाह ने अब तमिलनाडु में जाकर तमिल भाषा पर जोर क्यों दिया?

अमित शाह के बयान पर उत्तर पूर्व से तो प्रतिक्रिया हुई ही थी, तमिलनाडु बीजेपी के नेता ने भी अपनी राय रखी थी। तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष अन्नामलाई ने कहा था कि तमिलनाडु बीजेपी हिंदी थोपे जाने को स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने यह भी कहा था कि 1965 में कांग्रेस ने एक क़ानून लाया कि हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए और 1986 में दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से एक बार फिर हिंदी थोपने का प्रयास किया गया।