मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में सोमवार को डिंपल यादव ने समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी के तौर पर पर्चा दाखिल कर दिया है। अब इंतजार इसी बात का है कि बीजेपी इस चुनाव में किसे उम्मीदवार बनाएगी। उपचुनाव के लिए 17 नवंबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे। नामांकन के दौरान डिंपल यादव के साथ उनके पति और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मौजूद रहे।
मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई है।
उत्तर प्रदेश में मैनपुरी के अलावा रामपुर और खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने मिलकर उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है। तीनों ही सीटों पर 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे और 8 दिसंबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा।
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पिछला चुनाव हारी थीं डिंपल
डिंपल यादव को 2009 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट पर कांग्रेस के नेता राज बब्बर से हार मिली थी। डिंपल कन्नौज से 2012 में लोकसभा के लिए निर्विरोध चुनी गई थीं। 2014 में वह कन्नौज से लोकसभा का चुनाव जीती थीं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी के सुब्रत पाठक से हार गई थीं।
सभी की नजरें इस बात पर लगी हैं कि बीजेपी यहां किस नेता को उम्मीदवार बनाएगी। कहा जा रहा है कि बीजेपी यहां से गैर यादव उम्मीदवार को उतारना चाहती है। इसमें भी वह शाक्य बिरादरी के किसी नेता पर दांव लगाना चाहती है। इनमें इटावा के पूर्व सांसद रघुराज सिंह शाक्य, विधायक ममताश शाक्य, प्रेम सिंह शाक्य के नामों पर चर्चा चल रही है। मुलायम सिंह यादव की दूसरी बहू अपर्णा यादव के नाम की भी चर्चा है।
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बीजेपी ने साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट से सपा से बीजेपी में आए वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह शाक्य को मैदान में उतारा था। 2019 में मुलायम सिंह यादव को 5,24,926 जबकि प्रेम सिंह शाक्य को 4,30,537 वोट मिले थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां 94000 वोटों से हार मिली थी और उसका मानना है कि अब वह यहां जीत हासिल कर सकती है। बीजेपी ने कुछ महीने पहले हुए रामपुर और आजमगढ़ के लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल की थी।
मैनपुरी लोकसभा सीट की करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव 2022 में विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इस सीट पर आने वाली 5 विधानसभा सीटों में से 2 बीजेपी के पास हैं इसलिए बीजेपी भी यहां चुनावी लड़ाई में कमजोर नहीं है। बीजेपी इस बात को लेकर लगातार मंथन कर रही है कि वह ऐसे किस नेता को उम्मीदवार बनाए जो मैनपुरी में कमल खिला सके।
यादव मतदाता सबसे ज्यादा
मैनपुरी की सीट पर 35 फीसदी यादव मतदाता हैं जबकि अन्य 65 फीसदी में शाक्य, ठाकुर, ब्राह्मण, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय के मतदाता हैं। निश्चित रूप से इस सीट पर यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। मैनपुरी से लेकर इटावा, औरैया, कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद और फर्रुखाबाद तक यादव मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है।
2024 के लोकसभा चुनाव में अब सिर्फ डेढ़ साल का वक्त है और उससे पहले मैनपुरी, खतौली और रामपुर के नतीजे उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की सियासी जमीन कितनी मजबूत है, इस बारे में भी बताएंगे।
देखना होगा कि मैनपुरी में बीजेपी और सपा में से बाजी किसके हाथ लगती है।
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