किसानों का समूह 13 फरवरी से हरियाणा में प्रवेश करने से रोके जाने के बाद शंभू-अंबाला और खनौरी-जींद पर बैठे हुए हैं। उन्होंने पहले अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च का आह्वान किया था।
29 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पर हुए पथराव की तमाम सचाइयाँ सामने आ गई हैं। यह साफ़ हो गया है कि किसानों के आंदोलन से नाराज़ स्थानीय लोग इस प्रायोजित हिंसा में शामिल नहीं थे।
क्या दिल्ली से सटे हरियाणा के सिंघु सीमा पर बैठे आन्दोलनकारी किसानों को वहाँ से हटाने के लिए स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया है? या स्थानीय होने का दावा करन वाले लोग भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हैं?
टिकैत के आँसुओं से पश्चिमी यूपी में मज़बूत हुआ किसान आंदोलन! सिंघु बॉर्डर पर उपद्रव के पीछे कौन? योगी को भारी पड़ेंगे टिकैत? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ।Satya Hindi
दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन पर चर्चा। सिंघु बॉर्डर पर किसने कराया बवाल? पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कैसे मजबूत हुआ आंदोलन? देखिए वरिष्ठ पत्रकारों की चर्चा। Satya Hindi
हज़ारों किसान पिछले एक महीने से सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। क्या सरकार किसानों की मांगें मान कर कानून वापस लेगी? कब तक चलेगा किसान आंदोलन ? देखिये वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास के साथ सिंघु बॉर्डर से ग्राउंड रिपोर्ट। Satya Hindi