किसान आंदोलन की सबसे बड़ी जगह यानी सिंघु बॉर्डर पर एक शख़्स की हत्या का मामला बड़ा होता जा रहा है। इस शख़्स का नाम लखबीर सिंह था और वह पंजाब के तरन तारन जिले के चीमा खुर्द गांव का रहने वाला था। लखबीर सिंह का शव शुक्रवार सुबह सिंघु बॉर्डर पर मिला था।
एनडीटीवी ने लखबीर सिंह के गांव वालों से बात की है। गांव के हरभजन सिंह ने बताया कि लखबीर सिंह नशे का आदी था और हो सकता है कि उसे लालच देकर सिंघु बॉर्डर बुलाया गया हो।
उन्होंने बताया कि लखबीर 4-5 दिन पहले तक गांव में ही था और हर कोई उसकी मौत के जो वीडियो सामने आए, उन्हें देखकर हैरान रह गया। उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि वह बेरोज़गार था और उसके पिता की भी मौत हो चुकी है।
गांव के कई और लोगों ने इस बात को दोहराया कि लखबीर नशे का आदी था और उसकी पत्नी अलग रहती थी। एक ग्रामीण ने बताया कि लखबीर बेअदबी का काम नहीं कर सकता।
लगभग 30 साल का लखबीर दलित समुदाय से था और दिहाड़ी मजदूर था। उसकी एक बहन और तीन बेटियां भी हैं।
गांव के ही रहने वाले मासा सिंह ने भी कहा कि लखबीर पर बेअदबी का जो आरोप लगाया गया है, वह ग़लत है क्योंकि वह ऐसा काम नहीं कर सकता।
लखबीर की बहन राज कौर का कहना है कि काम की वजह से वह कई दिनों तक घर से बाहर रहता था। उन्होंने इंडिया टुडे को बताया कि 6 अक्टूबर को लखबीर उनसे 50 रुपये ले गया था और कहा था कि वह गांव से 15 किमी. दूर स्थित छब्बल नाम की जगह पर जा रहा है। इसके बाद उसका कोई पता नहीं चला।
उन्होंने कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि लखबीर को लालच देकर कौन दिल्ली ले गया।
लखबीर की हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए शुक्रवार शाम को एक निहंग सिख सरवजीत सिंह ने आत्मसमर्पण किया था। सरवजीत सिंह को गिरफ़्तार कर लिया गया था।
किसान मोर्चा का बयान
इस घटना के सामने आने के बाद लगातार कई सवालों का सामना कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा था कि यह घटना लखबीर के द्वारा पवित्र ग्रंथ की बेअदबी करने के प्रयास के कारण हुई।
मोर्चा ने अपना स्टैंड साफ करते हुए कहा था कि वह इस निर्मम हत्या की निंदा करता है और यह स्पष्ट करना चाहता है कि दोनों पक्षों- निहंग समूह और मृतक का संयुक्त किसान मोर्चा से कोई संबंध नहीं है।
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