29 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पर हुए पथराव की तमाम सचाइयाँ सामने आ गई हैं। यह साफ़ हो गया है कि किसानों के आंदोलन से नाराज़ स्थानीय लोग इस प्रायोजित हिंसा में शामिल नहीं थे। जिन्होंने इस वारदात में हिस्सा लिया था वे बाहर से आए थे और आरोप है कि ये बीजेपी और उससे जुड़े कार्यकर्ता थे। वीडियो और तस्वीरों की शक्ल में इसके कई प्रमाण सामने आ चुके हैं।