बिलकिस बानो मामले के अपराधियों को जिस तरह बेशर्मी से छोड़ा गया, उस पर देश में बहस जारी है। पत्रकार और लेखिका वंदिता मिश्रा ने गुजरात की बिलकिस के बहाने उन असंख्य घरेलू बिलकिस पर जो बीत रही है, उसे भी इस मुद्दे के साथ रेखांकित किया है। पुरुष प्रधान समाज से लेकर तमाम संवैधानिक संस्थाओं को चलाने वाले पुरुषों की मानसिकता जब तक नहीं बदलेगी, जब तक इन संस्थाओं की मुखिया महिलाएं नहीं होंगी, तमाम बिलकिस इसी तरह खुद में कैद होती रहेंगी। पढ़िए यह विचारोत्तेजक लेखः