नागरिकता क़ानून को लेकर असम सहित कई उत्तर-पूर्वी राज्य हिंसा की आग में जल रहे हैं लेकिन संसद से लेकर सियासी हलकों तक में राहुल गाँधी के चुनावी भाषण में दिए बयान पर हंगामा किया गया। उस बयान पर जिसपर राहुल ने 'मेक इन इंडिया' की तर्ज पर 'रेप इन इंडिया' कहकर मोदी सरकार पर तंज कसा था। संसद में हंगामा करने में आगे रही सत्ताधारी पार्टी। वह भी दुष्कर्म के बढ़ते मामले पर नहीं, बल्कि राहुल को माफ़ी माँगने को लेकर। शोर-शराबा इतना हुआ कि पहले संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित करनी पड़ी और फिर बाद में अनिश्चितकाल के लिए। यानी न तो दुष्कर्म पर चर्चा हुई और न ही उत्तर-पूर्वी राज्यों में हिंसा को रोकने को लेकर। तो क्या राहुल गाँधी का बयान इन दोनों या ऐसे ही कई मुद्दों से ज़्यादा अहम है?