नागरिकता क़ानून को लेकर असम सहित कई उत्तर-पूर्वी राज्य हिंसा की आग में जल रहे हैं लेकिन संसद से लेकर सियासी हलकों तक में राहुल गाँधी के चुनावी भाषण में दिए बयान पर हंगामा किया गया। उस बयान पर जिसपर राहुल ने 'मेक इन इंडिया' की तर्ज पर 'रेप इन इंडिया' कहकर मोदी सरकार पर तंज कसा था। संसद में हंगामा करने में आगे रही सत्ताधारी पार्टी। वह भी दुष्कर्म के बढ़ते मामले पर नहीं, बल्कि राहुल को माफ़ी माँगने को लेकर। शोर-शराबा इतना हुआ कि पहले संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित करनी पड़ी और फिर बाद में अनिश्चितकाल के लिए। यानी न तो दुष्कर्म पर चर्चा हुई और न ही उत्तर-पूर्वी राज्यों में हिंसा को रोकने को लेकर। तो क्या राहुल गाँधी का बयान इन दोनों या ऐसे ही कई मुद्दों से ज़्यादा अहम है?
यह हंगामा राहुल गाँधी के उस बयान पर हुआ है जिसमें उन्होंने एक दिन पहले ही गुरुवार को झारखंड की एक चुनावी सभा में देश में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था, "नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा था ‘मेक इन इंडिया’, लेकिन आजकल जहाँ कहीं भी आप देखते हैं, ‘रेप इन इंडिया’ है। उत्तर प्रदेश में नरेंद्र मोदी के विधायक ने महिला का बलात्कार किया, फिर उसकी दुर्घटना हुई लेकिन नरेंद्र मोदी ने एक शब्द भी नहीं बोला।"
राहुल गाँधी ने सरकार के लड़कियों को सशक्त करने और पढ़ाने के लिए अभिभावकों को प्रोत्साहित करने वाली योजना का ज़िक्र करते हुए कहा था, "नरेंद्र मोदी कहते हैं कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' लेकिन उन्होंने यह कभी नहीं कहा कि बेटियों को किससे बचाना है। उन्हें बीजेपी के विधायक से बचाया जाना चाहिए।'
राहुल के इसी बयान पर संसद के दोनों सदनों में बीजेपी ने जमकर हंगामा किया, नारेबाज़ी की और राहुल गाँधी से माफ़ी की माँग की। लोकसभा में बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने मोर्चा संभाला। उन्होंने राहुल को निशाने पर लिया और कहा, 'सभी पुरुष बलात्कारी नहीं हैं। यह भारत का अपमान है... राहुल गाँधी 50 के होने वाले हैं, और यह नहीं समझते कि ऐसा बयान लोगों को भारत में बलात्कार करने को आमंत्रण देने जैसा है।' संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी कहा, ‘राहुल गाँधी ने वह बयान देकर देश की हर महिला का अपमान किया है।'
डीएमके नेता कनीमोई ने भी राहुल गाँधी का बचाव किया और कहा, “प्रधानमंत्री ने कहा ‘मेक इन इंडिया’ जिसका हम सम्मान करते हैं, लेकिन देश में क्या हो रहा है? यही राहुल गाँधी का कहने का मतलब है। दुर्भाग्य है कि मेक इन इंडिया नहीं हो रहा है और देश की महिलाओं का बलात्कार किया जा रहा है। यह चिंता की बात है।’
बाद में जब राहुल गाँधी से पत्रकारों ने इस पर सवाल किया तो उन्होंने माफ़ी माँगने से साफ़ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा,
मेरे फ़ोन में एक क्लिप है जिसमें नरेंद्र मोदी जी दिल्ली को ‘रेप कैपिटल’ कह रहे हैं, मैं इसे ट्वीट करूँगा ताकि सभी लोग देख सकें। उत्तर-पूर्व में प्रदर्शन से ध्यान हटाने के लिए बीजेपी द्वारा इसे मुद्दा बनाया जा रहा है।
Modi should apologise.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 13, 2019
1. For burning the North East.
2. For destroying India’s economy.
3. For this speech, a clip of which I'm attaching. pic.twitter.com/KgPU8dpmrE
तो राहुल गाँधी के इस दावे की हक़ीक़त क्या है? क्या सच में ध्यान भटकाने के लिए राहुल के बयान को मुद्दा बनाया गया है?
इसमें दो बड़ी बातें हैं। एक, नागरिकता क़ानून के बाद हिंसा और दूसरी, दुष्कर्म की बढ़ती वारदातें। नागरिकता संशोधन के ख़िलाफ़ असम, त्रिपुरा सहित सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। असम में बड़े स्तर पर आंदोलन जारी है। गुरुवार की शाम गुवाहाटी के लाचित नगर में आंदोलनकारियों पर सुरक्षाकर्मियों ने गोलियाँ बरसाईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हुए हैं। असम और त्रिपुरा में सेना तैनात की गई है। दोनों राज्यों में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। विरोध को देखते हुए मेघालय में भी मोबाइल इंटरनेट को बंद किया गया है और शिलांग के कुछ हिस्से में कर्फ़्यू लगाया गया है। यानी इसकी गंभीरता को देखते हुए इस मुद्दे के समाधान और इसको प्राथमिकता भी दिए जाने की ज़्यादा ज़रूरत है।
इसके बावजूद यदि दुष्कर्म के मुद्दे पर भी ज़्यादा चर्चा किए जाने की ज़रूरत थी तो फिर किसी के बयान पर चर्चा होनी चाहिए थी या फिर दुष्कर्म रोकने के उपाय पर?
राहुल गाँधी ने दुष्कर्म का जो मुद्दा उठाया, वैसा ही मुद्दा सत्ता में आने से पहले प्रधानमंत्री मोदी भी उठाते रहे थे। बीजेपी भी दुष्कर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की बात करती रही है। लेकिन क्या बीजेपी ने दुष्कर्म के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में तेज़ी दिखाई? बीजेपी के ही कई नेताओं पर बलात्कार के गंभीर आरोप लगते रहे। उन्नाव में बलात्कार के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर के ख़िलाफ़ क्या हुआ? पीड़िता के पिता की हिरासत में पिटने से मौत हो गई। पीड़िता का हादसा हुआ और सेंगर पर आरोप लगे। पीड़िता के परिवार के कई लोगों की मौत हो गई है। पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले इस मामले में भी बीजेपी सेंगर के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से हिचकती रही। जब काफ़ी दबाव पड़ा तो उन्हें निलंबित किया गया।
बीजेपी नेता चिन्मयानंद पर बलात्कार का आरोप लगा तो भी कार्रवाई नहीं हुई। काफ़ी दबाव के बाद चिन्मयानंद को गिरफ़्तार तो किया गया, लेकिन वह भी हिरासत में कम और हॉस्पिटल में ज़्यादा रहते हैं! इस मामले में पीड़िता की पीड़ा कम नहीं हुई। उस पर भी मुक़दमा चलाया गया। लेकिन चिन्मयानंद अभी भी पार्टी में बने हुए हैं और बीजेपी नेता अभी भी उनका साथ दे रहे हैं। बीजेपी नेता साक्षी महाराज उनका खुलकर समर्थन करते रहे हैं।
जब तक बलात्कार के ऐसे आरोपियों के ख़िलाफ़ भी सख्त कार्रवाई नहीं होगी और ऐसा लगेगा कि उन्हें बचाया जा रहा है तब तक दूसरे लोगों में कड़ा संदेश कैसे जाएगा? क्या सिर्फ़ फाँसी का क़ानून बना देने से ही दुष्कर्म ख़त्म हो जाएगा? या फ़िर राहुल गाँधी के किसी चुनावी भाषण पर संसद में हंगामा से इसका समाधान निकल जाएगा?
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