23 मई 1987 को मलियाना में हुए नरसंहार में 106 घरों में आग लगा दी गई थी। इस दंगे में 73 लोग मारे गए लेकिन इस मामले में अब तक दोषी कोई नहीं हुआ? तो सवाल है कि इन मौतों का आख़िर ज़िम्मेदार कौन था?
श्रीकांत त्यागी का मामला आख़िर क्यों बढ़ता जा रहा है और इसको लेकर महापंचायतें क्यों हो रही हैं? अपराध को लेकर कार्रवाई हो रही है या उससे ज़्यादा राजनीति?
कोरोना काल के शुरुआती दौर में जो आरोप जमातियों ने लगाए थे, वही आरोप अब भाजपाई यानी सत्तापक्ष के लोग लगा रहे हैं। मेरठ के एक निजी मेडिकल कॉलेज के कोविड-19 वार्ड की गड़बड़ियों पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ख़ुश करने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों को सिंचाई के लिए मिलने वाला गंगा के पानी को रोक दिया गया। मौसम में गर्मी थी और फ़सल बचाने के लिए पानी की दरकार थी।
मेघना गुलज़ार और दीपिका पादुकोण की फ़िल्म छपाक चर्चा का विषय बनी हुई है। फ़िल्म का विरोध करने वाले तेजाब हमले की पीड़िताओं के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है।
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में मेरठ, मुज़फ़्फरनगर में हुए विरोध-प्रदर्शनों के बाद पुलिसिया बर्बरता व जुल्म की तसवीरें और कहानियां सामने आ रही हैं।