प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन का एलान कर देने के बाद समूचे देश में जो भगदड़ मची है उसे देखकर हर समझदार आदमी की रूह काँप रही होगी। नोटबंदी की तर्ज पर किए गए लॉकडाउन के बाद लोगों का बहुत बड़ी तादाद में पलायन इस बात का पुख्ता सबूत है कि सरकार पर उनका भरोसा नहीं है कि बंदी में वे अपनी और अपने परिवार की भूख को शांत कर सकेंगे।
क्या नोटबंदी की तरह लागू किया गया लॉकडाउन?
- विचार
- |
- |
- 29 Mar, 2020

प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन का एलान कर देने के बाद समूचे देश में जो भगदड़ मची है उसे देखकर हर समझदार आदमी की रूह काँप रही होगी।
इसका दूसरा पहलू यह भी है कि आपदा में हम अपनों के बीच पहुँचना चाहते हैं ताकि परंपरागत समुदायिक ताने-बाने में सर्वाइव कर सकें। इन दोनों स्थितियों में ही सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि समय रहते ही लोगों को आगाह किया जाता ताकि वे बिना हड़बड़ी के अपने गंतव्य पर पहुँच जाते। इच्छुक आप्रवासियों के गृहजनपद तक पहुँचने की व्यवस्था की जाती और जाने या न जाने वाले दुर्बल आयवर्ग के लोगों के लिए दाल-रोटी का इंतज़ाम कर सरकार उन्हें भरोसा दिलाती कि किसी को भी भूख से नहीं तड़पने दिया जाएगा।