मेरठ के मलियाना में 1987 के दंगों के दौरान हुए नरसंहार के 40 आरोपी दोषमुक्त करार दिए गए, जबकि 23 आरोपी इस दुनिया से विदा हो चुके हैं और 30 आरोपी लापता हैं, जिनके खिलाफ मुकदमा चलता रहेगा। अदालत के समक्ष अभियोजन पक्ष पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत करने में असफल रहा, जिसकी वजह से आरोपियों को संदेह का लाभ मिला। अदालत को फैसला सुनाने में 36 साल लग गए यानी जो लोग जवानी में आरोपी बने थे, वे बुढ़ापे में दोषमुक्त हुए और जिन बच्चों के मां-बाप मारे गए थे, वे युवावस्था को लांघ चुके हैं।
शर्मनाक - मलियाना नरसंहार के लिए कोई दोषी नहीं?
- उत्तर प्रदेश
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- 3 Apr, 2023

23 मई 1987 को मलियाना में हुए नरसंहार में 106 घरों में आग लगा दी गई थी। इस दंगे में 73 लोग मारे गए लेकिन इस मामले में अब तक दोषी कोई नहीं हुआ? तो सवाल है कि इन मौतों का आख़िर ज़िम्मेदार कौन था?
इससे ज्यादा शर्मनाक बात नहीं हो सकती कि आरोपियों को दर्ज हुई एफआईआर की सत्य प्रतिलिपि तक कई बार आवेदन करने के बाद भी थाने से प्राप्त नहीं हो सकी। न्यायिक व्यवस्था पर कोई टिप्पणी करना अनुचित होगा लेकिन हैरानी की बात है कि इस कांड के प्रत्यक्षदर्शी मोहम्मद याकूब की फाइल कोर्ट से गायब हो गई थी। एडवोकेट अलाउद्दीन के मुताबिक़ मोहम्मद याकूब की फाइल को कोर्ट 10 साल तक तलाश नहीं करवा पाया। बीते 36 सालों में करीब 800 तारीखें पड़ीं लेकिन 35 गवाहों में से सिर्फ तीन गवाहों से ही अभियोजन पक्ष जिरह कर पाया।