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मौलाना असद रज़ा हुसैनी से मिलते शिया धर्मगुरु कल्बे जवाद व अन्य। फ़ोटो क्रेडिट - @MaulanaKalbeJawadNaqaviOfficial Home

नागरिकता क़ानून: कल्बे जवाद बोले - आज़ाद भारत में कभी नहीं हुआ ऐसा जुल्म

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में मुज़फ़्फरनगर में 20 दिसंबर, 2019 को हुए विरोध-प्रदर्शनों में हुई हिंसा और सरकारी दमन के किस्से सुनने के बाद ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और शिया धर्मगुरु कल्बे जवाद ख़ुद को यह कहने से नहीं रोक पाए कि ‘ऐसा जुल्म तो अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं हुआ था।’ उन्होंने पुलिस की दमनात्मक कार्रवाई की तुलना हिटलर के निज़ाम से कर डाली। 

2020 की पहली तारीख़ को शिया धर्मगुरु कल्बे जवाद के नेतृत्व में मुसलिम विद्वानों, बुद्धिजीवियों और क़ानूनविदों का एक प्रतिनिधिमंडल मुज़फ़्फरनगर और मेरठ के उन लोगों के पास वस्तुस्थिति जानने के लिए पहुंचा, जिनके परिजन इस दौरान हताहत हुए थे या स्वयं घायल थे। शिया धर्मगुरु निर्दोष व्यक्तियों के उत्पीड़न के संदर्भ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिल चुके थे, इसलिए शायद उन्हें राहुल-प्रियंका की तरह उन इलाक़ों में जाने से नहीं रोका गया जहां उपद्रव हुए थे। संभव है कि अराजनैतिक होने की वजह से ऐसा हुआ हो। वैसे भी अब पुलिसिया कार्रवाई पर राजनैतिक, सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने सवाल उठाने शुरू कर दिये हैं और धीरे-धीरे विरोध, हिंसा और पुलिस कार्रवाई की कई तसवीरें लगातार सामने आ रही हैं। 

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नए साल के पहले दिन आया यह प्रतिनिधिमंडल जब मुज़फ़्फरनगर के आर्यसमाज रोड स्थित मदरसा हौजा-ए-इल्मिया इमाम हुसैनिया के प्रबंधक मौलाना असद रज़ा हुसैनी से मिलने पहुंचा तो उन्हें पुलिस की बदसलूकी और निर्ममता की जो कहानियां सुनने को मिलीं, उससे उनका गला भर आया। 

शिया धर्मगुरु ने स्थितियों से वाकिफ होने के बाद अपने बयान में कहा कि मदरसे के उलेमा और छात्र उपद्रव या प्रदर्शन में शामिल नहीं थे लेकिन पुलिस ने मदरसे में तोड़फोड़ की और 72 साल के बुजुर्ग और मदरसे के प्रबंधक मौलाना असद की हड्डियां तोड़ दीं। उन्होंने कहा कि मदरसे के छात्रों की निर्ममता से पिटाई की गई जबकि उनका प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं था।

Police attrocities in Muzzaffarnagar against protest citizenship law - Satya Hindi
पुलिस की पिटाई से घायल मौलाना असद रज़ा हुसैनी।
शिया धर्मगुरु ने पीड़ितों से मिलने के बाद बताया कि 17 बच्चे जेल में हैं और उनकी बेहद निर्ममता से पिटाई की गई है, जिनमें ऐसे बच्चे भी हैं जिनके हाथ और पैरों की हड्डियां टूटी हैं तो कुछ जीवन भर के लिए अपाहिज हो गए हैं।

कल्बे जवाद ने कहा, हम तो समझते थे कि अंग्रेजों के जमाने में ऐसा जुल्म हिंदुस्तानियों पर हुआ होगा, लेकिन आज़ाद भारत में ऐसा पहली बार देखने को मिला है। यहां की हुकूमत को इस पर नोटिस लेना चाहिए, क्योंकि इससे सीएम योगी की बदनामी हुई है, प्राइम मिनिस्टर साहब की बदनामी हुई है।’ उन्होंने कहा कि हुकूमत को पुलिस की ग़ैर-क़ानूनी कार्रवाई के ख़िलाफ़ सख्त एक्शन लेना चाहिए। 

कल्बे जवाद ने दोषियों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि वह सूबे के मुख्यमंत्री से फिर मिलेंगे और वस्तुस्थिति से अवगत करा कर न्यायप्रिय कदम उठाने की मांग करेंगे। मौलाना असद से हाल-चाल जानने के बाद वह किदवईनगर में रहने वाले और हिंसा की चपेट में आकर मारे गए नूरा के घरवालों से मिले और उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया।  

शिया धर्मगुरु ने निर्दोषों के नुक़सान की क्षतिपूर्ति करने की मांग के साथ यह भी कहा कि वह उन लोगों के साथ नहीं हैं जिन्होंने क़ानून तोड़ा है। उन्होंने कहा कि उपद्रव करने वाले दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन निर्दोषों पर जुल्म गुनाह है और उसके लिए दोषी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ भी सख़्त एक्शन होना चाहिए।
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इसके बाद प्रतिनिधिमंडल मेरठ पहुंचा और उन परिवारों से मिला जिनके यहां लोग उपद्रव में मारे गए थे। पुलिस का पहले दिन से दावा है कि मरने वाले लोग उपद्रवियों द्वारा चलाई गई गोलियों का शिकार हुए हैं, ना कि पुलिस की गोली का। पर हताहतों के घरवालों ने दावा किया कि उनके परिवार के लोग पुलिस की गोली से मरे हैं और पुलिस न तो उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट दे रही है और न एफ़आईआर दर्ज कर रही है।

पारचा बोले - क़ानूनी लड़ाई लड़ेंगे

शिया धर्मगुरु मुज़फ़्फरनगर से ही वापस लौट गए थे। मेरठ पहुंचे इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई धर्म गुरु कासिम जैदी (शाही इमाम करबला लखनऊ) और वकील मोहम्मद पारचा ने की। मीडिया से बातचीत के दौरान महमूद पारचा ने कहा कि मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने सीधे लोगों पर गोलियां चलाईं। पारचा ने कहा कि इस प्रकरण में उन्होंने एक कमेटी बनाई है, जो क़ानूनी प्रक्रिया से लेकर मृतकों के परिजनों की हर सम्भव मदद करेगी। उन्होंने कहा कि हिंसा के दिन अगर किसी भी अधिकारी की ग़लत भूमिका सामने आती है तो निश्चित तौर पर उन पुलिस अधिकारियों को नामजद कर क़ानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। 

प्रतिनिधिमंडल के सदस्य और धर्म गुरु कासिम जैदी ने कहा, ‘हकूमत बात करती है- सबका साथ और सबके विकास की, लेकिन अन्याय साफ़ दिखाई दे रहा है। हम पीड़ित परिवार को सांत्वना देते हुए उनकी हर संभव मदद करेंगे।’ हालांकि उपद्रव के इतने दिन बाद क़ानूनी कार्यवाही के लिए ठोस सबूत जुटा पाना नामुमकिन न भी हो लेकिन बेहद कठिन है। 
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हरि शंकर जोशी
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