वैश्विक भुखमरी सूचकांक(GHI) ऐसा ही एक सच है जो नरेंद्र मोदी सरकार के सामने आकर खड़ा हो गया है। जिसका निदान गौरीकुंड में शंख बजाने से नहीं होगा, जिसका समाधान आदि शंकराचार्य को निहारने से नहीं होगा। कुपोषण और भुखमरी भारत जैसे महान देश की तल्ख सच्चाई है। केंद्र सरकार आंकड़ों से मुंह चुराने की बजाय इसका सामना करे। स्तंभकार वंदिता मिश्रा इस अत्यंत गंभीर लेख में कुछ कहना चाहती हैंः