जनवरी 2012 में भूख और कुपोषण रिपोर्ट जारी करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बच्चों में कुपोषण को "राष्ट्रीय शर्म" बताया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ कम वजन वाले बच्चों की संख्या 53 फ़ीसदी से घटकर 42 फीसदी रह गयी थी लेकिन मनमोहन सिंह ने इसे ‘अस्वीकार्य’ बताते हुए कहा था कि कुपोषण के इस ऊँचे दर से लड़ने के लिए एकीकृत बाल विकास योजना (आईएसडीएस) पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता है।
भूख की भयावहता को नकारना सरकार का शुतुरमुर्गी रवैया
- विचार
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- 22 Oct, 2023

स्मृति ईरानी ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स का मज़ाक़ क्यों उड़ाया? क्या उनको रिपोर्ट तैयार होने की प्रक्रिया पता नहीं है या फिर प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश कर रही थीं?
लेकिन 2023 में मंज़र उल्टा है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 की रिपोर्ट में भारत को 125 देशों में 111वें स्थान पर रखा गया है। 2022 में भारत 107वें स्थान पर था। इस मामले में भारत का हाल पाकिस्तान और श्रीलंका से भी खराब है। यह वाक़ई शर्मनाक स्थिति है, पर जी-20 सम्मेलन में मेहमानों को सोने-चाँदी के बर्तनों में भोजन कराने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुप्पी साध रखी है और उनकी सरकार ने इस रिपोर्ट को ही खारिज कर दिया है। महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने तो रिपोर्ट का मज़ाक ही उड़ा दिया। शुक्रवार को फिक्की के एक कार्यक्रम में हैदराबाद पहुँचीं स्मृति ईरानी ने कहा कि अपनी व्यस्तता की वजह से वह सुबह से भूखी हैं। अगर उनसे भी कोई पूछे तो वह खुद को भूखी बता देंगी। इंडेक्स बनाने वालों ने ऐसे ही तीन हज़ार लोगों से फोन पर राय लेकर रिपोर्ट बनायी है जबकि देश की आबादी एक अरब 40 करोड़ है।