जनवरी 2012 में भूख और कुपोषण रिपोर्ट जारी करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बच्चों में कुपोषण को "राष्ट्रीय शर्म" बताया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ कम वजन वाले बच्चों की संख्या 53 फ़ीसदी से घटकर 42 फीसदी रह गयी थी लेकिन मनमोहन सिंह ने इसे ‘अस्वीकार्य’ बताते हुए कहा था कि कुपोषण के इस ऊँचे दर से लड़ने के लिए एकीकृत बाल विकास योजना (आईएसडीएस) पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता है।