प्रो. यू.एन. सिंह 1980-1983 के बीच इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति थे। उनके कार्यकाल में एक बार पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर लाठीचार्ज किया था। इससे वे इतने दुखी हुए कि छात्रावासों में जाकर छात्रों से खेद प्रकट किया और घायल छात्रों के उपचार की पूरी व्यवस्था की। वे ‘कुल’ के पति या पालक होने का मतलब समझते थे और छात्रों को इसका अहसास भी कराना चाहते थे।
इविवि के दलित छात्र को पीटने वाले प्रोफसर को क्यों बचा रहा योगी प्रशासन?
- विचार
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- 25 Oct, 2023

इविवि में छात्रनेता विवेक कुमार की पिटाई और गाली-गलौज का वीडियो वायरल होने के बावजूद पुलिस प्रशासन प्रोफेसर के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा?
बहरहाल, 1887 में बना इलाहाबाद विश्वविद्यालय अब केंद्रीय विश्वविद्यालय है लेकिन पूरब का ऑक्सफोर्ड कहलाने वाले इस विश्वविद्यालय के छात्र बिलकुल ही उलट कारणों से आंदोलित हैं। दरअसल, 17 अक्टूबर को वहाँ के चीफ़ प्रॉक्टर डॉ. राकेश सिंह ने एक दलित छात्रनेता विवेक कुमार को लाठियों से जमकर पीटा और गाली-गलौज की। यह कोई आरोप नहीं, बल्कि इस पिटाई का वीडियो वायरल है जिसमें सबकुछ स्पष्ट रूप से देखा-सुना जा सकता है। जौनपुर के टी.डी. कॉलेज से कुछ साल पहले सीधे इलाहाबाद विश्वविद्यालय पहुँचे डॉ. राकेश सिंह पढ़ाने से ज़्यादा ‘ठकुरई’ के लिए कुख्यात हैं। जिस तरह वीडियो में वे लाठियाँ भाँजते हुए दिख रहे हैं, वह ‘अदंड्य’ होने यानी किसी भी सूरत में दंडित न होने को लेकर उनका आत्मविश्वास जताता है। ज़ाहिर है, छात्रों में काफ़ी रोष है, लेकिन कैंपस में किसी तरह के विरोध-प्रदर्शन की इजाज़त नहीं है। प्रो. यू.एन. सिंह की कुर्सी पर विराजमान मौजूदा कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव कुछ समय पहले सुबह की अज़ान से होने वाली परेशानी की सार्वजनिक शिकायत करके देश भर में चर्चित हुई थीं, लेकिन एक दलित छात्र की चीख़ और अपने प्रॉक्टर की लाठीबाज़ी पर उन्होंने होठ सिल रखे हैं।