ग़ज़ा पट्टी पर जारी इज़राइली बमबारी में अब तक क़रीब 9 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं। कुल मौतों का लगभग 70 फ़ीसदी महिलाएँ और बच्चे हैं। ‘अमेरिकी-इज़राइल गुट’ को छोड़ दें तो दुनिया के ज़्यादातर देश इसे नरसंहार क़रार देते हुए युद्ध तुरंत रोकने की माँग कर रहे हैं। एक ज़माना था जब भारत शांति के पक्षधर देशों की अगुवाई करता था। लेकिन अफ़सोस उसने युद्ध रोकने को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश हुए प्रस्ताव पर वोट नहीं किया। मोदी सरकार शायद भूल गयी कि नरसंहार के समय किसी भी तरह की तटस्थता नरसंहार का पक्ष लेना ही है। भारत शुरू से ही इज़राइली आक्रामकता का विरोध करता रहा है और स्वतंत्र फ़िलिस्तीन का पक्ष उसके लिए ज़ुबानी जमाख़र्च का नहीं बल्कि एक न्यायपूर्ण विश्व की उसकी कल्पना के साथ जुड़ा मामला है।