चंडीगढ़ में मंगलवार 30 जनवरी को जो हुआ, वो गांधी जी के लोकतंत्र की ही हत्या थी। अगर रामराज्य ऐसा ही है तो उन लोगों को मुबारक जो इस रामराज्य को लाए हैं। रामराज्य का ढोल पीटने वाली भाजपा ने दरअसल खुद को चुनावी मशीन में बदल लिया है। वो किसी भी कीमत पर कोई ऐसा चुनाव नहीं हारना चाहती, जो वो इंडिया के मुकाबले में लड़ती है। वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव किस नजरिए से चंडीगढ़ में लोकतंत्र की हत्या को देख रहे हैं, पढ़िएः