पिछले साल अमेरिकी संघीय अभियोजकों द्वारा एक भारतीय नागरिक और एक अनाम भारतीय अधिकारी पर आरोप लगाया गया था कि अमेरिकी धरती पर आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश रची गई।
भारत और इंडोनेशिया के उलेमाओं के एक कार्यक्रम में एनएसए डोभाल ने कहा कि आईएसआईएस से प्रेरित आतंकवाद से लड़ने के लिए सिविल सोसाइटी का सहयोग बेहद जरूरी है।
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। 30 जुलाई । कुछ लोग धर्म के नाम पर विद्वेष पैदा कर रहे, खामोशी से बैठ नहीं सकते: NSA । कॉमनवेल्थ गेम्स: भारत को दूसरी सफलता, वेटलिफ्टिंग में अब कांस्य ।
अग्निपथ योजना पर क्या सरकार फिर से पुनर्विचार करने को भी तैयार हो सकती है? जानिए, सरकार ने अब अपने फ़ैसले के बचाव में किस अधिकारी को उतारा और उनका क्या कहना है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आईपीएस अधिकारियों को आख़िर क्यों कह रहे थे कि युद्ध के नए मोर्चे, जिसे आप चौथी पीढ़ी का युद्ध कहते हैं, वह नागरिक समाज है? आख़िर इसका मतलब क्या है?
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने आईपीएस अफसरों से ये क्यों कहा कि अगली लड़ाई नागरिक समाज से होगी? वे नागरिकों को शक़ के दायरे में क्यों खड़ा कर रहे हैं? क्या वे सरकार का विरोध करने वाले नागरिक आंदोलनों को कुचलने के लिए पुलिस अधिकारियों को तैयार कर रहे हैं? कहीं उनकी ये कोशिश पूरे देश को लोकतंत्र के बजाय पुलिस-राज में तब्दील नहीं कर देगी?
पेगासस स्पाइवेयर के लिए कथित सौदा हो रहा था उसी वक़्त एनएसए अजीत डोभाल इजरायल क्यों गए थे? प्रधानमंत्री की यात्रा क्यों हुई थी और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय का बजट क्यों बढ़ गया? राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर डोभाल की क्या राय है?
भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल) पर दोनों देशों के सैनिकों के जमावड़े और उससे बढ़ रहे तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर एक अहम बैठक की है।
दिल्ली हिंसा में एक पुलिसकर्मी सहित 18 लोगों की मौत और 250 से ज़्यादा लोगों के घायल होने के बाद अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को स्थिति काबू में करने की ज़िम्मेदारी दी गई है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हिंसा पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की नींद तीन दिन बाद अब खुली है। वह भी आधी रात को। या यूँ कहें कि वह अब होश में आए हैं। वह भी तब जब यह हिंसा पूरी तरह बेकाबू हो गई।
शोपियाँ में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के सड़क पर कश्मीरियों के साथ बातचीत और उनके साथ खाना खाने वाले वीडियो पर ग़ुलाम नबी आज़ाद के बयान के बाद हंगामा क्यों है? क्या जम्मू-कश्मीर में सबकुछ ठीक नहीं है?