मणिपुर में दो दिन पहले ही हिंसा में 11 लोगों के मारे जाने की घटना के बाद अब केंद्रीय मंत्री के घर को निशाना बनाया गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार इंफाल में कल रात केंद्रीय मंत्री के घर पर 1000 से अधिक लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया और उनके घर में आग लगा दी। आरोप है कि घर पर पेट्रोल बम फेंका गया। केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह घटना के वक़्त इंफाल स्थित अपने घर में नहीं थे। हिंसा में किसी को नुक़सान नहीं पहुँचा है।
उपद्रवियों ने केंद्रीय मंत्री आरके रंजन के घर को निशाना बनाया है। मंत्री ने एएनआई से कहा, 'मैं आधिकारिक काम के सिलसिले में फ़िलहाल केरल में हूँ। शुक्र है कि बीती रात इंफाल में मेरे घर पर हमले में कोई भी घायल नहीं हुआ है। उपद्रवी पेट्रोल बम के साथ आए थे। मेरे घर के ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर को नुक़सान पहुँचा है।'
केंद्रीय मंत्री के घर में हिंसा की यह घटना तब हुई है जब इंफाल में कर्फ्यू लगा है। इसके बावजूद भीड़ कोंगबा में मंत्री के घर तक पहुंचने में कामयाब रही। मंत्री के आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की संख्या भीड़ से कम थी। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार घटना के समय मंत्रालय के आवास पर 9 सुरक्षा एस्कॉर्ट कर्मी, 5 सुरक्षा गार्ड और 8 अतिरिक्त गार्ड तैनात थे। अधिकारियों ने कहा है कि भीड़ में करीब 1200 लोग होंगे।
मंत्री के आवास पर मौजूद एक सुरक्षाकर्मी ने कहा कि हमले के दौरान भीड़ ने चारों दिशाओं से पेट्रोल बम फेंके।
ये घटनाएँ तब हो रही हैं जब केंद्र ने 51 सदस्यीय शांति समिति घोषित की है। इसमें मेइती और कुकी समुदायों के लोगों को भी शामिल किया गया है।
जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा नामित लोगों में से 25 बहुसंख्यक मेइती समुदाय से हैं, 11 कुकी समूहों से संबंधित हैं और 10 नागा समुदाय से हैं। मुस्लिम और नेपाली समुदायों का प्रतिनिधित्व क्रमशः तीन और दो सदस्यों द्वारा किया जाएगा। लेकिन इस समिति से मेइती और कुकी दोनों समुदायों के लोग हाथ पीछे खींच रहे हैं।
मेइती और कुकी-ज़ोमी दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों ने कहा है कि वे गृह मंत्रालय द्वारा गठित शांति समिति में भाग नहीं लेंगे। तो सवाल है कि आख़िर एक तरफ़ ताज़ा हिंसा होने और दूसरी तरफ़ शांति समिति से मेइती व कुकी समूहों के पीछे हटने का क्या मतलब है?
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