- जिस तेज़ी के साथ एक ही दिन में प्रियंका के फ़ॉलोवर्स बढ़े हैं, उससे यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या राजनीतिक मैदान के अलावा ट्विटर पर भी प्रियंका, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने जा रही हैं।
ट्विटर पर क्यों आ रहे लोग
जब सारी दुनिया बहुत तेज़ी से डिजिटल होती जा रही है तो लोग सोशल मीडिया पर कोई ताक़तवर प्लेटफ़ार्म चाहते हैं, जहाँ से वह अपनी बात दुनिया तक पहुँचा सकें। 2009 में भारत आया ट्विटर पहले कुछ सालों में बहुत लोकप्रिय नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे हर प्रभावशाली शख़्सियत को इसका सहारा लेना पड़ा। इसमें ऐसे लोगों के नाम का उल्लेख भी करना होगा जो इसमें आने से बचते रहे लेकिन अंत में उन्हें इसकी ताक़त के आगे नतमस्तक होना ही पड़ा। इनमें बसपा प्रमुख मायावती का नाम शामिल है, वह हाल ही में इस प्लेटफ़ॉर्म पर आई हैं।
ताक़तवर और ज़रूरी माध्यम बना
ट्विटर नेताओं के लिए आम जनता और कार्यकर्ताओं तक अपनी बात पहुँचाने का बहुत ताक़तवर माध्यम बन चुका है। उसी तरह आम आदमी के लिए अपनी बात सरकार या लोगों तक पहुँचाने में भी इसका अहम रोल है। इसकी ताक़त को समझते हुए भारत में भी राजनेता ट्विटर पर आने लगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2009 में इसके माध्यम से लोगों से जुड़ना शुरू किया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी इसमें काफ़ी देर से आए, अप्रैल 2015 में। उससे पहले राहुल के ट्वीट @OfficeOfRG ट्विटर हैंडल से आते थे।
- मोदी के ठीक बाद मार्च 2009 में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्विटर पर एंट्री की। इसके अलावा अभिनेता शाहरुख़ ख़ान, अमिताभ बच्चन, सलमान ख़ान, अक्षय कुमार, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, प्रियंका चोपड़ा जैसी बड़ी शख़्सियतों ने भी समय-समय पर इसका सहारा लिया।
सभी बड़े राजनेता काफ़ी सक्रिय
मोदी और राहुल गाँधी की सियासी लड़ाई का मैदान भी ट्विटर बना तो ममता बनर्जी से लेकर योगी आदित्यनाथ और अरविंद केजरीवाल से लेकर अखिलेश यादव तक ने अपनी बात को जनता तक पहुँचाने के लिए इसका सहारा लिया। भारत में मोदी सभी राजनेताओं से आगे हैं और ट्विटर पर उनके साढ़े चार करोड़ से ज़्यादा फ़ॉलोअर हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल ट्विटर पर ख़ासे सक्रिय रहे और वर्तमान में 84 लाख से ज़्यादा लोग उन्हें फ़ॉलो करते हैं।
- उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी जुलाई 2009 में ट्विटर पर आए। अखिलेश को 89 लाख यूजर फ़ॉलो करते हैं। इसी तरह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मई 2013 में ट्विटर पर आए और लोकसभा चुनाव 2019 के लिए यह उनका प्रमुख हथियार बन चुका है। उनकी हर रैली का इस पर लाइव प्रसारण होता है।
भारत में दायरा बढ़ा रहा ट्विटर
भारत की आबादी 132 करोड़ के आसपास है और यह ट्विटर के लिए बहुत बड़ा बाज़ार है। देश में लोकसभा चुनाव नज़दीक हैं, इसलिए ट्विटर अब गाँवों की ओर रुख़ करने की तैयारी में है। उसका इरादा गाँवों, क़स्बों और छोटे शहरों में रहने वाले 19 करोड़ भारतीयों को अपने साथ जोड़ने का है। इसके लिए ट्विटर जगह-जगह रोड शो करने, क्षेत्रीय भाषाओं के ब्लॉगरों को अपने साथ ला रहा है। वह लोगों को सिखाएगा कि ट्विटर के प्लेटफ़ार्म का इस्तेमाल वह कैसे कर सकते हैं। ट्विटर अभी तक बड़े और मध्यम शहरों के लोगों तक ही सीमित था और इस पर ज़्यादातर अंग्रेज़ी बोलने वालों का ही दबदबा था। लेकिन ट्विटर अब देश की अलग-अलग भाषाओं में भी अपना विस्तार करने की तैयारी में है।
अपनी राय बतायें