बीजेपी सरकार के दबाव में आने के आरोपों का सामना कर रहे ट्विटर अब हरियाणा के मंत्री अनिल विज को लेकर चर्चा में है। ऐसा इसलिए कि ट्विटर ने पहले अनिल विज के एक 'आपत्तिजनक' ट्वीट को हटा दिया था, लेकिन बाद में फिर से बहाल कर दिया। अब ट्विटर ने कहा है कि यह ट्वीट हटाए जाने की श्रेणी में नहीं आता है। जिस ट्वीट को लेकर यह विवाद चला उसमें अनिल विज ने लिखा है, 'देश विरोध का बीज जिसके भी दिमाग में हो उसका समूल नाश कर देना चाहिए फिर चाहे वह #दिशा_रवि हो या कोई और।'
ट्विटर की ऐसी कार्रवाई तब आई है जब सरकार की ओर से ट्विटर पर सख़्त कार्रवाई की धमकी के बाद ट्विटर ने भारत सरकार से कहा है कि वह भारत की अपनी टीम को फिर से गठित करेगा और दफ़्तरों में सीनियर अफ़सरों को नियुक्त करेगा। ट्विटर का कहना है कि ऐसा करने से क़ानूनी मामलों को बेहतर ढंग से हैंडल किया जा सकेगा और सरकार के साथ उसकी बातचीत भी बेहतर होगी। ट्विटर के इस फ़ैसले को सरकार के आगे झुकने के तौर पर देखा जा रहा है।
अनिल विज ने अपने ट्वीट को लेकर ट्विटर की ताज़ा कार्रवाई को ट्वीट किया है।
— ANIL VIJ MINISTER HARYANA (@anilvijminister) February 15, 2021
इस ट्वीट में उन्होंने ट्विटर के एक मैसेज का स्क्रीनशॉट शेयर किया है। इसमें लिखा हुआ है कि 'हमने आपत्ति जताई गई सामग्री की पड़ताल की है और पाया कि ट्विटर के नियमों या जर्मन क़ानून के तहत यह हटाए जाने की श्रेणी में नहीं आती है। यही कारण है कि हमने इस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की है।'
अनिल विज ने एक और स्क्रीनशॉट शेयर किया जिसमें ट्विटर का संदेश है और जो पहले का है। उसमें लिखा हुआ है कि ट्विटर जर्मन क़ानून के तहत आपत्ति किए जाने पर यूज़र को नोटिस जारी करता है। इसमें यह भी लिखा गया है कि उनके ट्वीट के संदर्भ में एक शिकायत मिली है...।
जिस ट्वीट के संदर्भ में ट्विटर ने यह कार्रवाई की थी उसमें पर्यावरण पर काम करने वाली दिशा रवि का ज़िक्र था और यह कहा गया था कि 'देश विरोध का बीज जिसके भी दिमाग में हो उसका समूल नाश कर देना चाहिए फिर चाहे वह #दिशा_रवि हो या कोई और।'
देश विरोध का बीज जिसके भी दिमाग में हो उसका समूल नाश कर देना चाहिए फिर चाहे वह #दिशा_रवि हो यां कोई और ।
— ANIL VIJ MINISTER HARYANA (@anilvijminister) February 15, 2021
दिशा रवि को दो दिन पहले ही गिरफ़्तार किया गया था, इसके बाद उन्हें दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया और पाँच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। दिशा पर आरोप है कि उन्होंने इस टूलकिट को तैयार करने और इसे सोशल मीडिया पर आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। इस टूलकिट को ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) ने ट्वीट किया था।
पुलिस का दावा है कि ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) ने जिस टूलकिट को ट्वीट किया था, उसके पीछे पोएटिक जस्टिस फ़ाउंडेशन का हाथ है। इस संगठन ने निकिता जैकब से भी संपर्क किया था कि वह गणतंत्र दिवस के दिन हुई किसानों की रैली से पहले ट्वीट करे। पुलिस का कहना है कि पोएटिक जस्टिस फ़ाउंडेशन खालिस्तानी अलगाववादी संगठन है।
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दिशा रवि की गिरफ़्तारी के बाद दिल्ली पुलिस दिशा के दो सहयोगियों की तलाश में है। पुलिस ने सोमवार को इन दोनों के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट जारी कर दिया है। दिशा के अलावा जो दो अन्य एक्टिविस्ट हैं उनका नाम निकिता जैकब और शांतनु हैं। इन दोनों के ख़िलाफ़ दर्ज केस में उन पर ग़ैर जमानती धाराएँ लगाई गई हैं। इन तीनों पर अब दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि 26 जनवरी को हिंसा से पहले ज़ूम मीटिंग की थी।
यह सब तब हो रहा है जब ट्विटर और सरकार के बीच तनातनी को लेकर हलचल मची हुई है। हाल ही में सरकार ने ट्विटर से यह कहते हुए 1178 ट्विटर खातों को बंद करने के लिए कहा था कि ये खाते पाकिस्तान और खालिस्तान से सहानुभूति रखते हैं। इससे तनातनी बढ़ने की आशंका जताई गई। इस पर तनातनी इसलिए बढ़ गई थी कि ट्विटर ने उन सभी खातों को बंद करने से इनकार कर दिया था।
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ट्विटर ने अपने आधिकारिक ब्लॉग में कहा था, 'हमने कंट्री विदहेल्ड कंटेट नीति के तहत कई अकाउंट को भारत के अंदर ब्लॉक कर दिया है। ये अकाउंट भारत के बाहर चालू हैं।' इससे कुछ दिन पहले ही जब सरकार ने 100 ट्विटर खातों को बंद कराया था और 150 ट्वीट हटवाए थे तब कुछ ही घंटों में ट्विटर ने एकतरफ़ा फ़ैसला लेते हुए उन सभी खातों और ट्वीट को बहाल कर दिया था। इसके बाद सरकार ने खुली चेतावनी दी थी कि या तो ट्विटर सरकार के आदेशों की अनुपालना करे या नतीजे भुगते।
इसके बाद सरकार ने और सख़्ती दिखाई और फिर कई मंत्रियों ने ट्विटर जैसे 'कू' ऐप को लेकर ट्वीट करना शुरू कर दिया। बाद में ट्विटर ने भारत सरकार से कहा कि वह भारत की अपनी टीम को फिर से गठित करेगा।
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