फ़ेसबुक क्या जानबूझकर नफ़रत वाली सामग्री को बढ़ावा देता रहा है? ताज़ा रिपोर्ट में कुछ ऐसे ही संकेत मिलते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार आपत्तिजनक सामग्री के पैमाने पर बॉर्डर लाइन की मानी जानी वाली 40 फ़ीसदी सामग्री को फ़ेसबुक ने नज़रअंदाज़ कर दिया, जबकि वे अश्लीलता, हिंसा और नफ़रत फैलाने वाली थीं। फ़ेसबुक के ही आंतरिक दस्तावेज़ों में कहा गया है कि ऐसी सामग्री 'प्रोब्लेमैटिक' यानी समस्या वाली थीं। इसमें भी ख़ास बात यह है कि ऐसी सामग्री फ़ेसबुक के दिशा-निर्देशों को पूरी तरह से उल्लंघन करने वाली सामग्री से 10 गुना ज़्यादा देखी गई। तो सवाल है कि क्या ज़्यादा व्यूअरशिप और ज़्यादा इंगेजमेंट मिलने की वजह से फे़सबुक ने ऐसी बॉर्डर लाइन की सामग्री को बढ़ने दिया या बढ़ावा दिया?
फ़ेसबुक ने ‘नफ़रती’ 40% सामग्री को नज़रअंदाज़ किया: रिपोर्ट
- सोशल मीडिया
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- 16 Nov, 2021
फ़ेसबुक पर क्यों आरोप लग रहा है कि नफ़रत और हिंसा वाली सामग्री पर कार्रवाई नहीं की? जानिए, एक के बाद एक रिपोर्टें फ़ेसबुक के आंतरिक सिस्टम को कैसे उजागर कर रही हैं।

पिछले कुछ महीनों से फ़ेसबुक के बारे में जो रिपोर्टें आ रही हैं वे नफ़रत वाली सामग्री को लेकर कंपनी को कटघरे में खड़ा करती हैं। ये रिपोर्टें फ़ेसबुक के ही आंतरिक दस्तावेजों से सामने आई हैं। ह्विसल ब्लोअर बन चुके फ़ेसबुक के ही पूर्व कर्मचारियों ने कई ऐसी रिपोर्टों को जारी किया है।