अमेरिका में पेंटागन के पास एक विस्फोट दिखाने का दावा करने वाली एक नकली तस्वीर को सोमवार को भारत के एक टीवी चैनल ने लाइव ख़बर चला दी। उसने तो एक विशेषज्ञ को जोड़कर उस ख़बर का विश्लेषण भी कर दिया। जबकि जिस तसवीर के आधार पर वह ख़बर चलाई गई वह तसवीर ही कथित तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से तैयार की गई थी। आसान शब्दों में कहें तो उस तसवीर को कम्प्यूटर पर तैयार किया गया था।
अब उस टीवी चैनल के स्क्रीनशॉट को साझा करते हुए चैनल की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। पत्रकार रोहिणी सिंह ने एक विदेशी पत्रकार द्वारा भारतीय टीवी चैनल 'रिपब्लिक' की उस फर्जी ख़बर को रिट्वीट करते हुए लिखा है, 'फर्जी ख़बरें फैलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर रहे नोएडा के चैनल!'
Noida channels courting international glory for peddling fake news! https://t.co/wuUY53YwKy
— Rohini Singh (@rohini_sgh) May 23, 2023
एबीसी टीवी न्यूज़ के प्रोड्यूसर टायसन व्हेलन ने ट्वीट में लिखा है, 'विशेष रूप से भारतीय समाचार संगठन रिपब्लिक पेंटागन विस्फोट की नकली तस्वीर को लेकर पूरी तरह ब्रेकिंग न्यूज कवरेज मोड में चला गया। यहां तक कि चर्चा के लिए एक 'रणनीतिक विशेषज्ञ' तक को ले आए।'
हालाँकि, उस तसवीर के आधार पर कई सत्यापित ट्विटर खातों द्वारा पेंटागन के पास विस्फोट की फ़ेक ख़बर को साझा किया गया। इससे इतना भ्रम पैदा हुआ कि अमेरिका के शेयर बाजार में थोड़ी देर के लिए गिरावट तक आ गई थी। हालाँकि, स्थानीय अधिकारियों ने बाद में पुष्टि की कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। जब उस तसवीर के फेक होने की ख़बर आई तब शेयर बाज़ार संभला।
So @republic aired a 'Live & Breaking' news of Pentagon explosion image. They even invited Prof. Madhav Nalapat "strategic expert" to discuss about the explosion.
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) May 22, 2023
BWT, It was an AI generated image. pic.twitter.com/8j1nfSJR6x
Prime example of the dangers in the pay-to-verify system: This account, which tweeted a (very likely AI-generated) photo of a (fake) story about an explosion at the Pentagon, looks at first glance like a legit Bloomberg news feed. pic.twitter.com/SThErCln0p
— Andy Campbell (@AndyBCampbell) May 22, 2023
बता दें कि ट्विटर के मालिक एलन मस्क के अधीन ट्विटर ने मासिक भुगतान के बदले में किसी को भी एक सत्यापित खाता प्राप्त करने की अनुमति दी है। नतीजतन, ट्विटर सत्यापन अब एक संकेतक नहीं है कि एक खाता उसका प्रतिनिधित्व करता है जिसका वह प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है।
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