फ़ेसबुक डाटा सुरक्षा में सेंधमारी की बार-बार आती रही रिपोर्टों के बीच अब 53 करोड़ फ़ेसबुक यूज़रों की गुप्त जानकारी ऑनलाइन पाई गई है। जिनकी जानकारियाँ लीक हुई हैं वे 100 से अधिक देशों के यूजरों की हैं। लीक हुई जानकारियों में नाम, लिंग, व्यवसाय, फ़ोन नंबर, फ़ेसबुक आईडी, वैवाहिक और संबंध की स्थिति, ज्वाइनिंग की तिथि और यूज़रों के काम करने की जगह शामिल हैं। कुछ ऐसी ही जानकारियाँ पहले भी लीक हुई थीं और तब ऐसी जानकारियों के लिए क़ीमत वसूली गयी था, लेकिन इस पर यह मुफ़्त में ही उपलब्ध है।
फ़ेसबुक की इस ताज़ा जानकारी लीक के बारे में सबसे पहले बिजनेस इनसाइडर ने ख़बर दी। 'एसोसिएटेड प्रेस' की एक रिपोर्ट के अनुसार उन जानकारियों को कुछ साल पुराना बताया जा रहा है जिसे फ़ेसबुक और दूसरी सोशल मीडिया साइटों ने इकट्ठा किया था।
फ़ेसबुक वर्षों से डेटा सुरक्षा मुद्दों से जूझ रहा है। 2018 में इसने एक ऐसी सुविधा को हटा दिया था जिससे यूज़रों को एक दूसरे के लिए फोन नंबर के माध्यम से खोजने की सुविधा मिली थी। इस सुविधा को तब हटाया गया था जब राजनीतिक फर्म कैंब्रिज एनालिटिका ने 8.7 करोड़ फ़ेसबुक यूजरों की जानकारी उनकी जानकारी या सहमति के बिना हासिल कर ली थी। बता दें कि अमेरिकी चुनाव में कैंब्रिज एनालिटिका पर सवाल उठे थे और भारत में भी इसको लेकर विवाद हुआ था।
फ़ेसबुक यूजरों के डाटा में सेंधमारी की ख़बर 2019 में भी आई थी। तब कहा गया था कि मैसेज करने वाले ऐप टेलीग्राम के माध्यम से खरीदारों से पैसे वसूल कर वह जानकारी बेची गई थी।
इस बीच अब ताज़ा मामला पचास करोड़ डाटा यूज़रों की जानकारी का आया है। एलॉन गल के नाम से ट्विटर हैंडल से भी इस जानकारी को ट्वीट किया गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान से 5.5 लाख यूज़रों, ऑस्ट्रेलिया से 12 लाख, बांग्लादेश से 38 लाख, ब्राज़ील से 80 लाख, और भारत से 61 लाख यूज़रों की जानकारी सार्वजनिक की गई है। अख़बार के अनुसार जब फ़ेसबुक से प्रतिक्रिया के लिए ई-मेल भेजी गई तो जवाब नहीं आया।
हाल ही में यूजरों की जानकारी यानी डाटा सुरक्षा को लेकर दो कंपनियाँ- फ़ेसबुक और एप्पल आमने-सामने आ गई थीं। वही डेटा जिस पर हममें से अधिकतर लोग ध्यान भी नहीं देते।
ये वे डेटा हैं जिनका इस्तेमाल आपके मोबाइल फ़ोन में इंस्टॉल किए गए अधिकतर ऐप करते हैं और आपको पता भी नहीं चलता। इन जानकारियों में आपके फ़ोन नंबर डायरेक्टरी से लेकर, तसवीरें, वीडियो, मैसेजेज और दूसरी गुप्त जानकारियाँ भी शामिल हैं। इससे भी बड़ी चीज यह है कि ये ऐप आपकी पसंद और नापसंद भी जानते हैं। यानी यदि उनको ज़रूरत पड़ी तो वे आपकी पसंद-नापसंद की चीजों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
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एप्पल ने पिछले साल दिसंबर महीने में घोषणा कर दी थी कि वह इन ऐप के डाटा इस्तेमाल को लेकर पारदर्शिता लाने वाला है। उसने कहा कि कम से कम वह आईफ़ोन, आईपैड और मैक यूज़र के लिए ऐसा करेगा। उसके इस फ़ैसले का मक़सद यह है कि आपको पता रहे कि कौन सा ऐप आपकी कौन सी जानकारी का इस्तेमाल कर रहा है और इस्तेमाल से पहले आपसे मंजूरी ले।
फ़ेसबकु को यह घोषणा नागवार गुज़री। उसने एप्पल की यह कहकर आलोचना की कि एप्पल प्रिवेसी में बदलाव से व्यवसाय की क्षमता प्रभावित होगी। फ़ेसबुक ने तो इसके लिए अमेरिकी अख़बारों में फुल पेज का विज्ञापन भी निकाल दिया था।
भारत में डाटा सुरक्षा को लेकर इसलिए भी संदेह ज़्यादा है क्योंकि डाटा से छेड़छाड़ या चोरी के मामलों में भारत के पास यूज़र डाटा सुरक्षा और दंडात्मक कार्रवाई के लिए एक मज़बूत तंत्र नहीं है। पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में कहा गया है कि इससे निपटने के प्रावधान हैं, लेकिन यह बिल भी 2019 से लोकसभा में लंबित है।
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